आतंक कबूलनामे का शुक्रिया इमरान खान!
आतंक काे लेकर पाकिस्तान के हुकमरान परवेज मुशर्रफ से लेकर इमरान खान तक सभी के सभी ने अपने घिनौने चेहरे ही सामने रखे हैं।
04:23 AM Jul 28, 2019 IST | Aditya Chopra
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आतंक काे लेकर पाकिस्तान के हुकमरान परवेज मुशर्रफ से लेकर इमरान खान तक सभी के सभी ने अपने घिनौने चेहरे ही सामने रखे हैं। आईएसआई से सबके रिश्ते रहे हैं और जिसका मकसद यही रहा है कि भारत में आतंक की खूनी फसल के दम पर अपनी सियासत चलाई जाए। चार दिन पहले जिस प्रकार वहां के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमरीका पहुंच कर अपना रोना रोया कि वह खुद बेनकाब हो गया लेकिन एक साहस भी उन्होंने दिखाया और स्वीकार किया कि पाकिस्तान में अब भी चालीस हजार आतंकवादी मौजूद हैं।
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उनका यह कबूलनामा भारत के लिए एक अच्छी खबर है। पाकिस्तान अपने गुनाह कबूल कर रहा है और अमरीकी राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद अगर इमरान खान सार्वजनिक तौर पर अपने यहां आतंकी होने की बात कबूल करते हैं तो इसका सारा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शानदार नीति को दिया जाना चाहिए जिसके दम पर उन्होंने पूरी दुनिया में पाकिस्तान को शीशे में उतार कर असली तस्वीर पेश की। आए दिन पाकिस्तान कश्मीर घाटी में अपना आतंकी खेल खेलता था लेकिन जब उसकी हिम्मत पूरी अटैक तक पहुंच गई तो सर्जिकल स्ट्राइक और इसके बाद पुलवामा अटैक हुआ तो बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक से पीएम मोदी ने सिद्ध कर दिया कि पाकिस्तान के आतंकी जब-जब कुछ करेंगे कीमत पाकिस्तान चुकाएगा।
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इमरान खान के कबूलनामे का एक दूसरा छोर प्रधानमंत्री मोदी के उस दावे से जुड़ा है जिसमें कश्मीर में पाकिस्तान की शह पर आतंकी खेल का जिक्र किया गया था। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था और भारत की ओर से उसे बार-बार समझाया गया और इमरान खान जब पीएम बने तो भी श्री मोदी ने उसे आतंक पर नकेल कसने की सलाह दी। लेकिन इमरान को उस समय भारी कीमत चुकानी पड़ी जब भारत कुख्यात आतंकी अजहर मसूद को ग्लोबल टेरेरिस्ट घोषित कराया।
चीन को भी भारत ने हर मोर्चे पर खासतौर पर डोकलाम पर बैकपुट पर धकेल दिया था। लिहाजा पाकिस्तान की दुम अपने बचाव के लिए नीचे घूम चुकी थी। अपने बचाव में उन्होंने अपने आका डोनाल्ड ट्रंप को बताया कि पाकिस्तान में ढेरों आतंकी संगठन हैं और मेरी सरकार बनने के बाद उन पर नकेल कसी जा रही है। पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान की माली हालत बेनकाब हो चुकी है। कितनी ही बंदिशें उस पर अमरीका ने लगा रखी हैं। आतंकी संगठन और मदरसों से जुड़े लोग हर कोई परेशान है।
उसकी वित्तीय और सैन्य मदद प्रतिबंधों की जद में है तो उसने आखिरकार मान ही लिया कि आतंकी उसके यहां अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं और वो कश्मीर और अफगानिस्तान में ट्रेनिंग लेते हैं। यह कबूलनामा एक हिम्मत भरा पग भी है लेकिन लगते हाथ अगर इमरान खान प्रधानमंत्री मोदी को एक यह गुहार भी लगा दें कि इन आतंकवादियों का खात्मा कर दो तो हमारी फौजों को भी इन सबको निपटाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
पाकिस्तान को आतंकी हमलों चाहे वो मुंबई अटैक हो या लालकिला और संसद अटैक हों, बसों और ट्रेनों में विस्फोट को लेकर हमेशा पाकिस्तान को समय-समय पर डोजियर दिए गए और हर बार उसने इंकार किया लेकिन इमरान खान ने अपने यहां आतंकी होने को लेकर जो कबूलनामा प्रस्तुत किया अब हम उसके दम पर ही पाकिस्तान में आतंकियों को निपटा सकते हैं।
देखना यह है कि पीएम मोदी अब अपनी फौज को कब आतंकियों के नेस्तनाबूद की इजाजत देते हैं। पूरे देश को इसका इंतजार रहेगा। पाकिस्तान के आतंकी खेल को निपटाने में एनएसए अजित डोभाल, पूर्व गृहमंत्री और आज के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज और आज के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ-साथ नए गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है। इनमें से कोई पाकिस्तान को बख्शने वाला नहीं है। आतंक के सरगना अब अपने आखरी दौर से गुजर रहे हैं।
अगर एक देश की सेना अपने यहां आतंकी शिविर चलाएगी तो वह अपनी सरकार और अपना देश कैसे चलाएगी, इमरान के कबूलनामे के पीछे यह दर्द भरी मजबूरी भी है लेकिन यह भी तो सच है कि हमने आतंकियों के समक्ष बहुत कुछ गंवाया है। कश्मीर में जम्मू-कश्मीर पुलिस, बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों के अलावा हमारे सैनिकों की शहादत देशवासी कभी भूल नहीं सकते और ऐसे में इमरान खान के कबूलनामे को हमें आतंकियों के खिलाफ एक्शन का निमंत्रण समझना चाहिए।
इमरान ने अपने कबूलनामे का साहस दिखाया है और इसके दम पर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की जो उम्मीद हमसे लगाई है यह परोक्ष ही सही लेकिन हमें काम कर देना चाहिए। अमरीका अब उसकी ज्यादा मदद नहीं कर पाएगा। भारत के हाथ में अब ट्रंप कार्ड है मौका सामने है। आतंक और आतंकवादियों की कमर तोड़ने के साथ-साथ पाकिस्तान को काबू करने का गोल्डन चांस हमारे सामने है जिसे पीएम मोदी और सेना हाथ से नहीं जाने देना चाहेंगे। यही देशवासी भी चाहते हैं।
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