1978 में आया था अहमदाबाद जैसा काला दिन, Air India विमान ने ली थी 213 लोगों की जान
1978 में आया था अहमदाबाद जैसा काला दिन
1 जनवरी 1978 को एअर इंडिया की फ्लाइट AI-855 ने मुंबई के सांता क्रूज हवाई अड्डे से दुबई के लिए उड़ान भरी थी. यह विमान ‘एंपरर अशोका’ नामक बोइंग विमान था, जिसमें 190 यात्री और 23 क्रू सदस्य सवार थे. विमान ने रात के समय रनवे 27 से टेक-ऑफ किया था.
Ahmedabad plane crash: अहमदाबाद में गुरुवार को एयर इंडिया के एक विमान AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से देश में शोक की लहर दौड़ गई. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर मॉडल का यह विमान सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरते ही कुछ ही सेकेंड में रिहायशी इलाके में गिर गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस विमान ने अपने निर्धारित समय पर उड़ान भरी, लेकिन उड़ान भरने के करीब 30 सेकंड बाद ही तकनीकी गड़बड़ी के कारण घटना का शिकार हो गया . विमान में कुल 242 यात्री सवार थे, जिनमें से 241 की मौत की पुष्टि हो चुकी है. इस दुखद घटना में केवल एक यात्री जीवित बच पाया है. यह दुर्घटना भारत के हवाई इतिहास की सबसे दुखद घटनाओं में से एक बन गई है, जिसने साल 1978 में हुए AI-855 हादसे की यादें ताजा कर दीं.
1978 का मुंबई विमान हादसा
1 जनवरी 1978 को एअर इंडिया की फ्लाइट AI-855 ने मुंबई के सांता क्रूज हवाई अड्डे से दुबई के लिए उड़ान भरी थी. यह विमान ‘एंपरर अशोका’ नामक बोइंग विमान था, जिसमें 190 यात्री और 23 क्रू सदस्य सवार थे. विमान ने रात के समय रनवे 27 से टेक-ऑफ किया था.
तकनीकी खामी बनी दुर्घटना का कारण
टेकऑफ के बाद विमान ने सामान्य गति से ऊंचाई हासिल की, लेकिन जल्द ही कंट्रोल सिस्टम में खराबी आ गई. विमान का ‘एल्टीट्यूड डायरेक्टर इंडिकेटर’ (ADI) ठीक से काम नहीं कर रहा था, जिससे पायलटों को गलत दिशा संकेत मिल रहा था. इस वजह से उन्हें लगा कि विमान का एक पंख नीचे झुका हुआ है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था.
फ्लाइट इंजीनियर अल्फ्रेडो फारिया ने जल्द ही इस तकनीकी खराबी की पहचान की और पायलटों को चेताया, लेकिन या तो चेतावनी देर से मिली या गंभीरता से नहीं ली गई. इसके चलते विमान संतुलन खो बैठा और लगभग 108 डिग्री के कोण से समुद्र में जा गिरा.
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सभी लोगों की हुई थी मौत
इस हादसे में विमान में सवार सभी 213 लोगों की मृत्यु हो गई थी. पायलट मदन लाल कुकर और सह-पायलट इंदु विरमानी को हवाई उड़ानों का लंबा अनुभव था, लेकिन खराब उपकरण और समय पर फैसले न लेने के चलते यह हादसा टल नहीं सका.