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अयोध्या में प्रायश्चित पूजा और कलश यात्रा से होगा देव प्रतिष्ठा अनुष्ठान का शुभारंभ

महिलाओं की जलकलश यात्रा से प्राण-प्रतिष्ठा समारोह शुरू

11:01 AM Jun 02, 2025 IST | IANS

महिलाओं की जलकलश यात्रा से प्राण-प्रतिष्ठा समारोह शुरू

अयोध्या में प्रायश्चित पूजा और कलश यात्रा से होगा देव प्रतिष्ठा अनुष्ठान का शुभारंभ

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में देव विग्रहों की प्राण-प्रतिष्ठा का शुभारंभ प्रायश्चित कर्म पूजा और जलकलश यात्रा से होगा। 101 ऋत्विजों की उपस्थिति में यह अनुष्ठान वैदिक विधानों के अनुसार सम्पन्न होगा। सैकड़ों महिलाएं सरयू तट से जलकलश लेकर यज्ञशाला की ओर प्रस्थान करेंगी, जिससे माहौल और भी पवित्र हो जाएगा।

अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परिसर में नवनिर्मित देवालयों में देव विग्रहों की प्राण-प्रतिष्ठा के पावन अनुष्ठान का शुभारंभ सोमवार को प्रायश्चित कर्म पूजा और महिलाओं की जलकलश यात्रा से होगा। यह आयोजन वैदिक विधानों के अनुरूप तीर्थराज प्रयाग, काशी, देवप्रयाग, हरिद्वार, अयोध्या और अन्य धार्मिक स्थलों से आमंत्रित 101 ऋत्विजों की उपस्थिति में सम्पन्न होगा। अनुष्ठान के आरंभिक दिन ‘प्रायश्चित कर्म पूजा’ द्वितीय बेला में दोपहर 3 बजे से सायं 4:30 बजे तक चलेगी।

देव प्रतिष्ठा अनुष्ठान का शुभारंभ

इसके साथ ही सरयू तट से सैकड़ों महिलाएं पुण्य सलिला सरयू का पवित्र जल कलशों में भरकर मांगलिक यात्रा के रूप में यज्ञशाला की ओर प्रस्थान करेंगी। यह यात्रा पुराने सरयू पुल के पूर्वी तट से प्रारंभ होकर वीणा चौक, रामपथ, श्रृंगार हाट, हनुमानगढ़ी, दशरथ महल, रामकोट और रंगमहल बैरियर होते हुए सायं 6:30 बजे तक यज्ञशाला पहुंचकर सम्पन्न होगी। कलश यात्रा के साथ प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का आध्यात्मिक वातावरण और भी पवित्र हो जाएगा।

आयोजन के मुख्य यज्ञाचार्य काशी के पं. जयप्रकाश त्रिपाठी होंगे, जिनके साथ पं. चन्द्रभानु शर्मा (दिल्ली) एवं पं. अमरनाथ ब्रह्मा (बस्ती) सहित विभिन्न क्षेत्रों से आए ऋत्विज यज्ञों का संचालन करेंगे।राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से आयोजन के समन्वयक शैलेन्द्र शुक्ल ने बताया कि यज्ञमंडप की सभी व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली गई हैं और अनुष्ठान के लिए आवश्यक समस्त वैदिक सामग्री उपलब्ध करा दी गई है। प्राण-प्रतिष्ठा का मुख्य अनुष्ठान बुधवार, 3 जून को प्रातः 6:30 बजे से प्रारंभ होगा। इससे पूर्व की तैयारियां धार्मिक आस्था, परंपरा और शुद्धता को ध्यान में रखते हुए संपन्न की जा रही हैं।

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