Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

महाकुंभ 2025 में जूना अखाड़ा और नागा साधु संतों ने की कुंभ के लिए विशेष तैयारी

महाकुंभ 2025 की शुरुआत के साथ प्रयागराज एक बार फिर से आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र

05:47 AM Jan 12, 2025 IST | Shera Rajput

महाकुंभ 2025 की शुरुआत के साथ प्रयागराज एक बार फिर से आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र

महाकुंभ 2025 की शुरुआत के साथ प्रयागराज एक बार फिर से आध्यात्मिकता और आस्था का केंद्र बन गया है। लाखों भक्तों और साधु-संतों के आगमन से यह धार्मिक आयोजन अपने चरम पर है। महाकुंभ, सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक ऐसा पर्व है जो केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आंतरिक शांति, आत्मानुभूति और जीवन के उच्च उद्देश्यों की प्राप्ति का माध्यम भी है।

जूना अखाड़ा इस बार के महाकुंभ में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। नागा साधुओं का जमावड़ा विशेष आकर्षण का केंद्र है। ये साधु अपनी कठिन तपस्या और साधना के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी वेशभूषा, आभूषण और साधना की गहनता आम लोगों को गहराई से प्रभावित करती है।

कुंभ मेले में, कई लोग साधुओं से प्रेरित होकर संन्यास का मार्ग अपनाने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जो देशभर से लाखों लोगों को एक साथ जोड़ता है।

गाड़ी को भगवा रंग से किया पेंट

जूना अखाड़े में पहुंचे नागा साधुओं के बारे में जानकारी देते हुए, केदारनाथ धाम की गुफा वाले बाबा थानापति घनानंद गिरी ने बताया कि वह गुजरात से आए हैं। उन्होंने बताया कि एक भक्त ने उनकी गाड़ी को भगवा रंग से पेंट किया है। वह यात्रा के दौरान सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं और आने वाले समय में नेपाल और शिवरात्रि के दौरान विभिन्न स्थानों पर जाएंगे।

इसके अलावा, महिला नागा साधु संतों के लिए भी धीरे-धीरे व्यवस्थाएं बनाई जा रही हैं। इन महिलाओं का भी अपना अलग अस्तित्व है और वे तपस्या में जुटी रहती हैं। इस संबंध में महिला अखाड़े की अध्यक्ष आराधना गिरी ने बताया कि महिला संतों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं, ताकि वे शांति से अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन कर सकें।

नागा साधु बनने के लिए ब्रह्मचर्य की दी जाती है परीक्षा

नागा साधु बनने की प्रक्रिया पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि इच्छुक व्यक्ति को अखाड़े में प्रवेश के पहले उसकी छानबीन करनी पड़ती है। इसके बाद उनके ब्रह्मचर्य की परीक्षा दी जाती है और सफल होने पर दीक्षा दी जाती है। साधक को अपने बाल कटवाने और खुद को मृत मानकर श्राद्ध कर्म करना होता है। इसके बाद वह गुरुमंत्र प्राप्त करता है, जो उसकी तपस्या और साधना का आधार बनता है। महाकुंभ के इस आयोजन में साधु-संतों का योगदान न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति आस्था और समर्पण को भी प्रकट करता है। इस बार लगभग 144 साल बाद इस महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह और भी बढ़ गया है।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ में आने वाले भक्तों के लिए विविध धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है, और सभी साधु-संतों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं, ताकि वे अपनी तपस्या और साधना को शांति से जारी रख सकें।

Advertisement
Advertisement
Next Article