Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

बादशाहत कायम करने की तैयारी में ड्रैगन

चीन बैडमिंटन में बड़ी ताक़त माना जाता था। किसी भी आयोजन में खिताब जीतना और पूर्ण सफ़ाया करना चीन के लिए बाएं हाथ का खेल माना जाता था।

01:11 PM Mar 27, 2019 IST | Desk Team

चीन बैडमिंटन में बड़ी ताक़त माना जाता था। किसी भी आयोजन में खिताब जीतना और पूर्ण सफ़ाया करना चीन के लिए बाएं हाथ का खेल माना जाता था।

नई दिल्ली : कुछ साल पहले तक चीन बैडमिंटन में बड़ी ताक़त माना जाता था। किसी भी आयोजन में खिताब जीतना और पूर्ण सफ़ाया करना चीन के लिए बाएं हाथ का खेल माना जाता था। ओलंपिक, वर्ल्ड कप, एशियाड और तमाम आयोजनों में चीनी खिलाड़ी इस कदर छाए थे कि एकल, युगल और मिश्रित युगल के सभी खिताब चीन ले उड़ता था। लेकिन पिछले कुछ सालों मे डेनमार्क, इंडोनेशिया, चीनी ताइपे, कोरिया, जापान, स्पेन आदि देशों के खिलाड़ियों ने चीन की बादशाहत को ना सिर्फ़ समाप्त किया अपितु कई बड़े आयोजनों में उसके खिलाड़ी बिना खिताब जीते लौटने लगे थे। यह सिलसिला पिछले कुछ सालों में तेज हुआ परंतु अब ड्रैगन की हुंकार फिर से महसूस की जाने लगी है।

इंडियन ओपन में चीन के शीर्ष खिलाड़ियों शी यूकी और चेन युफेई के नहीं उतरने को लेकर टूर्नामेंट बिगड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। दूसरी तरफ चीन ने अपने 24 खिलाड़ियों का भारी भरकम दल उतारा है। इस बदलाव को बैडमिंटन जगत मे चीन की चाल और रहस्यमई वापसी के रूप में देखा जा रहा है। जानकारों और एक्सपर्ट्स की मानें तो चीन जहां एक ओर अपने शीर्ष खिलाड़ियों को प्रमुख आयोजनों से बचा कर रखने लगा है तो दूसरी तरफ युवा खिलाड़ियों की बड़ी फौज भी तैयार कर रहा है। उसके पास प्रतिभाओं की भरमार है, जबकि भारत, मलेशिया, थाईलैंड, डेनमार्क,कोरिया आदि देश कुछ एक खिलाड़ियों के भरोसे हैं।

खेल के दिग्गज और पूर्व खिलाड़ी मानते हैं कि टोक्यो ओलंपिक 2020 में चीन एकदम अलग ताक़त के रूप में नज़र आएगा और अधिकाधिक पदक ले उड़ेगा। भले ही भारत की साइना नेहवाल टूर्नामेंट में नहीं खेल रहीं लेकिन पीवी सिंधु, किदाम्बी श्रीकांत समीर वर्मा, साई प्रणीत, प्रणय आदि खिलाड़ी भारत की चुनौती को मजबूती से पेश करेंगे। अर्थात मेजबान ने अपना श्रेष्ठ दांव पर लगाया है, जबकि चीन युवा फौज के दम पर अन्य देशों पर शिकंजा कसने की तैयारी में लगा है। चीन की यह रणनीति कारगर हो सकती है, क्योंकि वह हर कदम फूंक-फूंक कर रख रहा है।

(राजेंद्र सजवान)

Advertisement
Advertisement
Next Article