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मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा ने विधानसभा चुनाव को लक्ष्य कर जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधा

उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में रविवार को हुए विस्तार में जिन सात मंत्रियों को शामिल किया है उनके चयन में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखा गया है

11:09 AM Sep 27, 2021 IST | Shera Rajput

उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में रविवार को हुए विस्तार में जिन सात मंत्रियों को शामिल किया है उनके चयन में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखा गया है

मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा ने विधानसभा चुनाव को लक्ष्य कर जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधा
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में रविवार को हुए विस्तार में जिन सात मंत्रियों को शामिल किया है उनके चयन में जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधते हुए अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखा गया है। राज्य में जो सात नये मंत्री बने हैं उनमें तीन का संबंध पिछड़ा वर्ग, तीन का दलित समूह और जबकि एक का ब्राह्मण समुदाय से है।
उत्तर प्रदेश में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार का यह तीसरा मंत्रिमंडल विस्तार है। 19 मार्च 2017 को सरकार गठित होने के बाद दूसरा मंत्रिमंडल विस्तार 2019 में हुआ और अब 2022 में होने वाले चुनाव से पहले जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधते हुए भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में उत्तर प्रदेश को लेकर किये गये अपने प्रयोग को फिर दोहराया है। इसी साल सात जुलाई को केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार में उत्तर प्रदेश से जो सात नये केंद्रीय मंत्री बनाए गए उनमें से तीन पिछड़े वर्ग, तीन दलित समूह और एक ब्राह्मण समुदाय से हैं।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार को छलावा बताते हुए ट्वीट किया, ‘‘उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार भी एक छलावा है। साढ़े चार साल जिनका हक़ मारा, आज उनको प्रतिनिधित्व देने का नाटक रचा जा रहा है। जब तक नये मंत्रियों के नामों की पट्टी का रंग सूखेगा तब तक तो 2022 चुनाव की आचार संहिता लागू हो जाएगी। भाजपाई नाटक का समापन अंक शुरू हो गया है।’’
मंत्रिमंडल में शामिल नये मंत्री जितिन प्रसाद (शाहजहांपुर) ब्राह्मण समाज से आते हैं और अभी उत्तर प्रदेश विधानमंडल के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार सरकार ने उन्हें विधान परिषद के लिए नामित करने के लिए राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजा है।
प्रसाद के अलावा राज्य मंत्री बनाये गये बरेली की बहेड़ी सीट से विधायक छत्रपाल सिंह गंगवार, गाजीपुर की विधायक संगीता बलवंत बिंद और विधान परिषद सदस्य धर्मवीर सिंह प्रजापति (आगरा) पिछड़ा वर्ग से आते हैं। गंगवार कुर्मी समाज, संगीता बिंद (मछुआरा) और धर्मवीर प्रजापति कुम्हार जाति के हैं। शपथ लेने वाले तीन अन्‍य राज्‍य मंत्रियों में सोनभद्र के ओबरा क्षेत्र के विधायक संजीव कुमार गोंड (अनुसूचित जनजाति) मेरठ के हस्तिनापुर क्षेत्र के विधायक दिनेश खटीक (सोनकर) और बलरामपुर क्षेत्र से पलटू राम दलित वर्ग के हैं।
इस विस्तार में जहां तराई इलाके से जितिन प्रसाद को मौका मिला वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के धर्मवीर प्रजापति, दिनेश खटीक और छत्रपाल सिंह गंगवार, अवध क्षेत्र से पलटू राम और पूर्वी उत्तर प्रदेश से संगीता बलवंत और संजीव कुमार को मौका दिया गया है।
गौरतलब है कि 2013 में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदेश प्रभारी बनकर आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछड़ा, दलित और सवर्णों को जोड़ कर समन्वय बनाने पर जोर दिया और 2017 के विधानसभा चुनाव में इसी सोशल इंजीनियरिंग के बल पर उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव का प्रबंधन किया। भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं को महत्व देकर तथा पिछड़े वर्ग से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य (तब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष) की अगुवाई में विधानसभा चुनाव में राज्य की 403 सीटों में भाजपा ने 312 और सहयोगी दलों अपना दल (सोनेलाल) ने नौ तथा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने चार सीटें जीती थीं। अब सुभासपा भाजपा के गठबंधन से अलग हो गई है।
रविवार को हुए विस्तार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किये गये पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने इसी साल नौ जून को कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। जितिन प्रसाद कांग्रेस में रहते हुए ब्राह्मणों के उत्पीड़न के मामले को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ अभियान चला रहे थे लेकिन भाजपा में आने के बाद उनके सुर बदल गये। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने कांग्रेस के दिग्गज नेता कुंवर जितेंद्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद को राज्य में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उभारा है।
कैबिनेट मंत्री बनने के बाद जितिन प्रसाद ने पत्रकारों से कहा, ”सर्वप्रथम मैं प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करता हूं, राष्ट्रीय अध्यक्ष (जगत प्रकाश) नड्डा, गृह मंत्री (अमित शाह), मुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ) जिन्होंने मुझ पर विश्वास प्रकट किया है और मेरा प्रयास रहेगा कि इस विश्वास पर खरा उतरुं। मेरे लिए यह व्यक्तिगत रूप से बहुत सम्मान की बात है और मेरा प्रयास रहेगा कि प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में हम लोग पूरे जी जान और पूरे लगन से जनता का विश्वास हासिल करें और प्रचंड बहुमत से फ‍िर से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाएं।”
हालांकि जब उनसे पूछा गया कि भाजपा ने प्रदेश में आपको ब्राह्मण चेहरे के रूप में मौका दिया है और बड़ी जिम्मेदारी का निर्वाह कैसे करेंगे तो जवाब दिये बिना वह धन्यवाद कह कर आगे बढ़ गये।
भाजपा के एक पदाधिकारी ने राज्य मंत्रिमंडल विस्तार के बाद टिप्पणी की, ”विस्तार में सामाजिक समीकरण, सामाजिक संतुलन और समरसता का ध्यान रखा गया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपनों को पूरा करते हुए उन सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया जिन्हें कभी अवसर नहीं मिला था।”
हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा ने सहयोगी दलों को अवसर नहीं दिया। अभी दो दिन पहले निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) के अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद को साथ लेकर केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने 2022 में मिलकर पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। माना जा रहा था कि संजय निषाद को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिला। संजय निषाद के समुदाय से ही आने वाली संगीता बलवंत बिंद को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया।
सूत्रों के अनुसार सरकार ने संजय निषाद को विधान परिषद सदस्य मनोनीत करने के लिए राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेज दिया है।
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