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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के परिवार व रियल स्टेट कारोबारियों के यहां आयकर विभाग का छापा

आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोप में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के परिवार के सदस्यों और कुछ रियल एस्टेट डेवलपर्स से जुड़े व्यवसायों पर बृहस्पतिवार को छापा मारा।

03:56 PM Oct 07, 2021 IST | Ujjwal Jain

आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोप में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के परिवार के सदस्यों और कुछ रियल एस्टेट डेवलपर्स से जुड़े व्यवसायों पर बृहस्पतिवार को छापा मारा।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के परिवार व रियल स्टेट कारोबारियों के यहां आयकर विभाग का छापा
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आयकर विभाग ने कर चोरी के आरोप में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के परिवार के सदस्यों और कुछ रियल एस्टेट डेवलपर्स से जुड़े व्यवसायों पर बृहस्पतिवार को छापा मारा।
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुंबई, पुणे, सातारा और महाराष्ट्र के कुछ अन्य शहरों में तथा गोवा में तलाशी ली जा रही है। सूत्रों ने बताया कि डीबी रियल्टी, शिवालिक, जरंदेश्वर सहकारी शुगर कारखाना (जरंदेश्वर एसएसके) जैसे समूह से संबंधित परिसरों और पवार की बहनों से जुड़े व्यवसायों पर छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि कुछ दस्तावेज मिले हैं जिनका अध्ययन किया जा रहा है।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जुलाई में धनशोधन रोधी कानून के तहत जरंदेश्वर एसएसके की सातारा के चिमनगांव-कोरेगांव में चीनी मिल की 65 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि, भवन, संयंत्र और मशीनरी को कुर्क कर लिया था जिसे लेकर वे हाल में खबरों में थी।
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ईडी ने दावा किया था कि सहकारी द्वारा संचालित चीनी मिल पवार और उनके परिवार से जुड़ी हुई है। ईडी ने आरोप लगाया था, “(जरंदेश्वर एसएसके की) संपत्ति फिलहाल गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (एक कथित फर्जी कंपनी) के नाम पर है और जरंदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दी गई है।”
उसने आरोप लगाया था, “स्पार्कलिंग सॉयल प्राइवेट लिमिटेड के पास जरंदेश्वर शुगर मिल्स के अधिकांश शेयर हैं और जांच से पता चला है कि स्पार्कलिंग सॉयल प्राइवेट लिमिटेड महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और (उनकी पत्नी) सुनेत्रा अजीत पवार से संबंधित कंपनी है।”
पवार ने तब कुछ भी गलत करने से इनकार किया था। ईडी की कार्रवाई महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाले के मामले में उसकी जांच का हिस्सा थी। इस मामले में आरोप है कि एमएससीबी के तत्कालीन अधिकारियों और निदेशकों ने एसएसके को एसएआरएफएईएसआई कानून में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना सस्ते दाम पर धोखे से अपने ही रिश्तेदारों और निजी लोगों को बेच दिया था।
ईडी ने दावा किया था, “अजीत पवार उस समय एमएससीबी के निदेशक मंडल के प्रतिष्ठित और प्रभावशाली सदस्यों में से एक थे। एसएसके को गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने खरीदा था और तुरंत जरंदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड को पट्टे पर दिया गया था।”
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