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आधार कार्ड पर बढ़ी बहस: नागरिकता साबित नहीं करता, फिर क्यों जरूरी है हर सरकारी काम में?

05:28 PM Jul 10, 2025 IST | Priya
आधार कार्ड पर बढ़ी बहस  नागरिकता साबित नहीं करता  फिर क्यों जरूरी है हर सरकारी काम में

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में दस्तावेजों की स्वीकृति को लेकर भ्रम की स्थिति देखी जा रही है। कई इलाकों में जहां आधार कार्ड को प्रमाणपत्र के रूप में स्वीकार किया जा रहा है, वहीं कुछ जगहों पर इसे नामंजूर किया जा रहा है।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वोटर कार्ड, राशन कार्ड और आधार कार्ड — तीनों को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी जाए। लेकिन इस बीच आधार कार्ड और नागरिकता के बीच के रिश्ते को लेकर फिर एक बार सार्वजनिक बहस छिड़ गई है।

क्या है आधार कार्ड?
आधार कार्ड भारत सरकार की एक डिजिटल पहचान योजना है, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है। इसमें व्यक्ति की बायोमेट्रिक जानकारी जैसे फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतलियों का स्कैन, फोटो, नाम, जन्मतिथि और पता शामिल होता है। इसका मकसद देश के हर निवासी को एक 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या देना है, जिससे सरकारी योजनाओं और सेवाओं को सही व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके।

क्या आधार नागरिकता का प्रमाण है?
UIDAI बार-बार स्पष्ट कर चुका है कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह केवल पहचान और पते का प्रमाण है। आधार के लिए आवेदन करने के लिए यह जरूरी है कि आवेदक भारत में कम से कम 182 दिन रह चुका हो। इस नियम के तहत कोई भी विदेशी नागरिक जो भारत में छह महीने से अधिक समय से रह रहा है, आधार कार्ड प्राप्त कर सकता है। इस आधार पर आधार कार्ड को नागरिकता का वैध प्रमाण मानना उचित नहीं है। नागरिकता का निर्धारण भारतीय संविधान और नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत होता है, जिसके लिए अधिक ठोस कानूनी आधारों की जरूरत होती है।

आधार का प्रयोग कहां-कहां होता है?
हालांकि नागरिकता से इसका सीधा संबंध नहीं है, फिर भी आधार कार्ड आज भारत में सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाला सरकारी दस्तावेज बन गया है। इसके प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:

सरकारी योजनाएं: जैसे एलपीजी सब्सिडी, जनधन योजना, पेंशन, मनरेगा भुगतान आदि में लाभार्थियों की पहचान के लिए आधार जरूरी है।

बैंकिंग सेवाएं: बैंक खाता खोलने, ई-केवाईसी और मोबाइल नंबर लिंक करने में इसका उपयोग।

आयकर: पैन कार्ड से लिंक करना और आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आवश्यक।

शिक्षा और परीक्षा: प्रतियोगी परीक्षाओं और विश्वविद्यालयों में पहचान हेतु।

ई-गवर्नेंस: डिजिलॉकर, ई-वॉलेट, ई-हॉस्पिटल जैसी सेवाओं में आधार की केंद्रीय भूमिका है।

आधार और नागरिकता: भ्रम की स्थिति
आधार कार्ड की व्यापक स्वीकृति और उपयोगिता के बावजूद आम लोगों के मन में यह सवाल बना हुआ है कि अगर यह इतना जरूरी दस्तावेज है, तो फिर इसे नागरिकता से क्यों नहीं जोड़ा गया? संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि नागरिकता एक संवैधानिक दर्जा है, जबकि आधार केवल एक डिजिटल पहचान पत्र है। दोनों के बीच अंतर बनाए रखना आवश्यक है ताकि संवैधानिक अधिकारों का हनन न हो।

 

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