भारतीय पासपोर्ट की बढ़ती लोकप्रियता !
हाल ही में जारी हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 में भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिला है। पिछले वर्ष के 85वें स्थान से 8 पायदान ऊपर चढ़कर भारत अब 77वें स्थान पर पहुंच गया है। इसका सीधा लाभ पासपोर्ट धारकों को मिल रहा है और यह हमारी अर्थव्यवस्था तथा वैश्विक संबंधों के लिए भी शुभ संकेत है। हेनले पासपोर्ट इंडेक्स एक वैश्विक बेंचमार्क है जो दुनिया के पासपोर्टों को उनकी यात्रा स्वतंत्रता के आधार पर रैंक करता है। यानी कोई पासपोर्ट धारक बिना पूर्व वीज़ा के कितने देशों की यात्रा कर सकता है। भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में यह सुधार सीधे तौर पर भारतीय नागरिकों के लिए अधिक वीज़ा मुक्त या वीज़ा ऑन अराइवल देशों तक पहुंच का मार्ग प्रशस्त करता है। वर्तमान में भारतीय पासपोर्ट धारक 59 देशों में बिना पूर्व वीज़ा के यात्रा कर सकते हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 57 थी। इसमें फिलीपींस और श्रीलंका जैसे नए देश भी शामिल हुए हैं।
यह बढ़ी हुई पहुंच भारतीय यात्रियों के लिए कई मायनों में फायदेमंद है। वीज़ा प्रक्रिया अक्सर लंबी, जटिल और खर्चीली होती है। वीज़ा मुक्त या वीज़ा-ऑन-अराइवल की सुविधा यात्रा योजना को सरल बनाती है, समय बचाती है और अचानक यात्राओं को संभव बनाती है। यह व्यापार, पर्यटन और व्यक्तिगत यात्राओं को बढ़ावा देता है। व्यापारिक पेशेवरों के लिए आसान अंतर्राष्ट्रीय यात्रा व्यावसायिक अवसरों को बढ़ाने में मदद करती है। इससे विदेशी निवेश आकर्षित होता है और भारतीय व्यवसायों को वैश्विक बाजारों तक पहुंचने में आसानी होती है।
भारतीय पर्यटकों के लिए अधिक गंतव्यों तक आसान पहुंच अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को प्रोत्साहित करती है जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होती है और सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिलता है। छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए आसान यात्रा विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन या शोध के लिए नए अवसर खोलती है जिससे ज्ञान और सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ता है। एक मजबूत पासपोर्ट किसी देश की वैश्विक प्रतिष्ठा और उसके नागरिकों की स्वीकार्यता को दर्शाता है। यह भारत की बढ़ती ‘सॉफ्ट पावर’ का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में इस उछाल के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं। भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और वीज़ा समझौतों को उदार बनाने पर विशेष जोर दिया है। विदेश मंत्रालय की सक्रिय कूटनीति ने कई देशों को भारतीय नागरिकों के लिए वीज़ा नीतियों में ढील देने के लिए प्रेरित किया है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और वैश्विक भू-राजनीति में इसकी भूमिका लगातार बढ़ रही है। भारत का आर्थिक उदय और रणनीतिक महत्व अन्य देशों को भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने और भारतीय नागरिकों को अधिक सुगम यात्रा सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है। किसी भी देश की पासपोर्ट रैंकिंग में उसकी आंतरिक सुरक्षा स्थिति और राजनीतिक स्थिरता महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत ने हाल के वर्षों में आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और एक स्थिर वातावरण बनाए रखने में महत्वपूर्ण प्रगति की हैए जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में विश्वास बढ़ा है। भारत में पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया को डिजिटल बनाने और सरल बनाने के लिए किए गए प्रयासों ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इस सुधार में योगदान दिया है। सुगम और पारदर्शी पासपोर्ट सेवाएं नागरिकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को और अधिक व्यवहार्य बनाती हैं। इसके साथ ही कोविड-19 महामारी के दौरान यात्रा प्रतिबंधों के कारण दुनिया भर के पासपोर्टों की रैंकिंग प्रभावित हुई थी। अब जब वैश्विक यात्रा धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, तो देशों के बीच समझौते और यात्रा की बहाली रैंकिंग में सुधार का एक कारण है।
भारतीय पासपोर्ट की इस क्रमशः बढ़ती ताकत को बनाए रखना और उसे और मजबूत करना एक सतत प्रक्रिया है। इसके लिए कई उपायों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। विदेश मंत्रालय को दुनिया के उन देशों के साथ बातचीत जारी रखनी चाहिए जो अभी भी भारतीय नागरिकों के लिए सख्त वीज़ा आवश्यकताएं रखते हैं। विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां भारतीय व्यापार, पर्यटन या छात्र समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति है। एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था एक मजबूत पासपोर्ट की नींव होती है। भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि दर को बनाए रखना चाहिए और वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय संधियों और समझौतों का सम्मान करना और उनका प्रभावी ढंग से पालन करना भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाता है जिससे अन्य देश उसके नागरिकों को अधिक वीज़ा स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था का मजबूत ढांचा किसी भी देश की अंतर्राष्ट्रीय छवि के लिए महत्वपूर्ण है। यह पर्यटकों और व्यापारिक आगंतुकों के लिए एक सुरक्षित वातावरण का आश्वासन देता है।
भारत को उन देशों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए जो ई-वीज़ा या वीजा-ऑन-अराइवल की पेशकश नहीं करते हैं। इन सुविधाओं का विस्तार यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बना सकता है। सरकार को भारतीय पासपोर्ट धारकों के लिए उपलब्ध वीज़ा मुक्त, वीज़ा-ऑन-अराइवल देशों के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर नियमित अपडेट और सार्वजनिक जागरूकता अभियान इसमें मदद कर सकते हैं। भारत को ‘अतिथि देवो भव:’ की अपनी परंपरा के अनुरूप विदेशी पर्यटकों का स्वागत करना जारी रखना चाहिए। सांस्कृतिक कार्यक्रमों और आदान-प्रदान से भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ बढ़ती है जिससे बदले में अन्य देशों से वीज़ा उदारता प्राप्त होती है।
भारतीय पासपोर्ट की रैंकिंग में यह सुधार देश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, पर अभी बहुत आगे जाना है। भारत की विदेश नीति को लेकर विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं। इस नीति के आलोचकों का कहना है कि हाल में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के मामले में दुनिया का कोई भी देश भारत के साथ खड़ा नहीं हुआ। जबकि चीन और टर्की आदि ने पाकिस्तान को खुला समर्थन देने की घोषणा की थी। उधर अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दर्जनों बार यह दोहराया कि भारत पाकिस्तान के बीच उन्होंने ही सीज़-फ़ायर करवाया है। जबकि भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प के इस दावे का बार-बार खंडन किया।
दरअसल किसी भी देश की विदेश नीति का आधार उसकी आर्थिक प्राथमिकताएं व भू-राजनैतिक, जियो पोलिटिकल बाध्यताओं से निर्धारित होती है। अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक परिदृश्य में जहां एक तरफ़ अमरीका और रूस की नज़र हमेशा भारत के बड़े बाज़ार पर रहती है, वहीं चीन से संतुलन बनाए रखने के लिए इन्हें पाकिस्तान को भी साधना पड़ता है। क्योंकि उसकी भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है। इन सब दबावों के बीच भारत अपनी विदेश नीति तय करता है।