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Independence Day Special: महज ढाई दिन में इन्होंने शौर्य और पराक्रम के बल पर पकिस्तान के चंगुल से गुरदासपुर व पठानकोट को कराया था मुक्‍त

08:02 PM Aug 13, 2024 IST | Shubham Kumar
independence day special  महज ढाई दिन में इन्होंने शौर्य और पराक्रम के बल पर पकिस्तान के चंगुल से गुरदासपुर व पठानकोट को कराया था मुक्‍त

Independence Day Special: 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ था। स्वतंत्रता मिलते ही देश का भी विभाजन हो गया, इसके कारण लाखों लोगों को अपना घर छोड़कर पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। पंजाब का गुरदासपुर और पठानकोट जिला भी पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था। लेकिन, बाद में जस्टिस मेहर चंद के प्रयासों से दोनों जिलों को भारत में शामिल कराया गया।

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जब नेहरू ने किया था पंजाब के इन दो जिलों के भारत में मिलने का ऐलान

जस्टिस मेहर चंद के पोते राजीव किशन महाजन ने विभाजन की घटना को याद किया और गुरदासपुर और पठानकोट के भारत में शामिल होने के घटनाक्रम को बताया। उन्होंने कहा, “हमें गर्व है कि हम उस परिवार का हिस्सा हैं, जिसने भारत का हिस्सा पाकिस्तान से वापस लिया। विभाजन के समय गुरदासपुर और पठानकोट जिले पाकिस्तान में चले गए, लेकिन मेरे दादा जस्टिस मेहर चंद के प्रयासों के कारण ढाई दिन बाद दोनों जिलों को भारत में शामिल कराया गया। इसकी घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने रेडियो के माध्यम से की थी।”

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विभाजन के जख्म लोगों के जेहन में ताजा है

देश की आजादी के 70 से अधिक साल गुजर जाने के बाद भी विभाजन के जख्म लोगों के जेहन में ताजा है। पंजाब के पठानकोट में पाकिस्तान सीमा के पास रहने वाले रतन चंद ने आजादी के समय को याद किया।उन्होंने कहा, “बंटवारे के बाद पठानकोट और गुरदासपुर जिला पाकिस्तान के कब्जे में चला गया था। लगभग ढाई दिनों तक यह क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में रहा और इसके बाद 17 अगस्त को इसे फिर से भारत में शामिल कराया गया।”

न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन भारत के तीसरे मुख्य न्यायाधीश थे

उन्होंने बताया कि विभाजन के समय वे बहुत छोटे थे, लेकिन उन्हें आज भी याद है कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान कैसे लोग एक-दूसरे के दुश्मन बन गए थे। गुरदासपुर और पठानकोट जिले पाकिस्तान में चले गए थे और उस समय पठानकोट के निवासी जस्टिस मेहर चंद ने दोनों जिलों को भारत का हिस्सा बनाने का प्रयास किया, इसकी जानकारी उन्हें रेडियो पर घोषणा से मिली।

Maharaja Hari Singh of Jammu finally gets his due remembrance

बता दें कि न्यायमूर्ति मेहर चंद महाजन भारत के तीसरे मुख्य न्यायाधीश थे। इससे पहले वह महाराजा हरि सिंह के शासनकाल के दौरान जम्मू और कश्मीर राज्य के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के भारत में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

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