For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

बलूचिस्तान की आजादी से हिंगलाज माता मंदिर तक पहुंच होगी आसान

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता से हिंगलाज मंदिर तक आसान पहुंच

08:54 AM May 16, 2025 IST | IANS

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता से हिंगलाज मंदिर तक आसान पहुंच

बलूचिस्तान की आजादी से हिंगलाज माता मंदिर तक पहुंच होगी आसान

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत ने स्वतंत्रता की घोषणा की है, जिससे भारत के हिंदू समुदाय को हिंगलाज माता मंदिर तक पहुंचने में आसानी होगी। बलूच नेताओं ने भारत और संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी है। अगर बलूचिस्तान अलग देश बनता है, तो हिंगलाज और कटासराज मंदिरों के द्वार भारतीयों के लिए खुल जाएंगे।

भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बीच पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत ने खुद को अलग और स्वतंत्र देश घोषित कर दिया है। वहां के नेताओं का कहना है कि वे अब पाकिस्तान के साथ नहीं रह सकते हैं और अब बलूचिस्तान एक स्वतंत्र राष्ट्र है। इसके साथ ही, बलूचों ने भारत और संयुक्त राष्ट्र से मदद मांगी है कि बलूचिस्तान को एक अलग देश का दर्जा दिया जाए।जिस तरह से बलूचों द्वारा आए दिन पाकिस्तानी सेना और सैन्य इकाइयों को निशाना बनाकर पाकिस्तान की सरकार को चेतावनी दी जा रही है, उससे साफ है कि अगल राष्ट्र की मांग रुकने वाली नहीं है। अगर बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश हो जाता है, तो देश के हिंदुओं के लिए दो बड़े और ऐतिहासिक मंदिरों के द्वार खुल जाएंगे: पहला हिंगलाज माता मंदिर और दूसरा कटासराज मंदिर।

‘बलूचिस्तान पाकिस्तान नहीं है’, पाक के दमनकारी रवैए पर बलूचों की दो टूक

जिस तरह से भारतीय सिख समुदाय के लिए करतारपुर कॉरिडोर बनाया गया और गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुंच आसान हुई, ठीक उसी तरह से हिंगलाज माता मंदिर और कटासराज मंदिर के द्वार भारतीय हिंदू के लिए खुल सकते हैं। बलूचिस्तान के अगल देश बनने से वहां स्थित हिंगलाज माता मंदिर तक भारतीयों की सीधी पहुंच होगी, क्योंकि फिलहाल भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण यहां तक हिंदुओं की पहुंच सीमित है। यह मंदिर भारत के हिंदुओं के लिए खास महत्व रखता है, जहां भारतीयों की पहुंच बहुत कम है। हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासबेला जिले में स्थित एक प्राचीन और अत्यंत पवित्र मंदिर है। यह मंदिर हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसे हिंगलाज शक्तिपीठ भी कहा जाता है।

मान्यता है कि जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर विचरण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर के टुकड़े किए, और जहां-जहां ये गिरे वहां शक्तिपीठ बने। हिंगलाज वह स्थान है जहां माता सती का मस्तक गिरा था। यह मंदिर हिंगोल नदी के किनारे स्थित है और चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां की देवी को ‘हिंगलाज देवी’ या ‘नानी मां’ के नाम से भी पूजा जाता है, खासकर सिंधी और बलूच हिंदू समुदायों में इसका विशेष महत्व है। इस स्थान की विशेषता यह भी है कि यहां मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग भी आस्था रखते हैं और देवी को ‘नानी पीर’ के रूप में मानते हैं। हिंगलाज यात्रा एक कठिन, लेकिन आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण यात्रा मानी जाती है। इसे ‘हिंगलाज तीर्थयात्रा’ भी कहा जाता है।

Advertisement
Advertisement
Advertisement
×