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अखंड भारत ने कैसे स्वतंत्रता के लिए चुकाई बंटवारे की भारी कीमत

05:00 AM Aug 15, 2024 IST | Ravi Kumar

INDEPENDNCE DAY SPECIAL : 15 अगस्त..... यह तारीख अपने आप में ही एक महान दिन है। भारत देश में इस तारीख का क्या महत्व है वो यहां का हर बच्चा, बूढ़ा और नौजवान बता सकता है। आज ही के दिन भारत अंग्रजों की 190 साल की गुलामी से आजाद हुआ था। 1757 से लेकर 15 अगस्त 1947 तक अंग्रेजों ने भारत पर शासन किया और ये समझिए कि सोने की चिड़िया को माटी की चिड़िया बना दिया। लेकिन अंग्रजों ने जाते जाते भारत को वो घाव दिया जो आज तक भारत के सीने में खंजर की तरह चुभ रहा है। असल में वो घाव था अखंड भारत के दो टुकड़े करना भारत और पाकिस्तान। जो आज असल में तीन टुकड़ों में विभाजित हो चुका है...भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश
लेकिन ऐसा आखिर हुआ कैसे.... क्यों भारत अपने विभाजन को रोक नहीं पाया...क्यों एक देश धर्म के आधार पर दो टुकड़ों में बंट गया....इतनी सारी वीरगति...इतने बड़े बड़े महान लोगों की प्राणी की आहुति इसलिए तो नही थी कि भविष्य में स्वतंत्रता के पश्चात उनके देश के ही टुकड़े हो जाएं। आप सब के मन में ऐसे कई सवाल आते होंगे.... आपने कई किताबों में भी इनके जवाब टटोले होंगे। हर किताब में इसके अलग अलग जवाब भी मिले होंगे...ऐसे में आज इतिहास के पन्नो को उलटकर हम आपको उन्ही सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।

HIGHLIGHTS

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कुछ ऐसे पड़ी थी बंटवारे की नींव

तो शुरुआत करते हैं आजादी के ठीक एक साल पहले जब गांधी जी ने इस बात की पुष्टि कर दी की आजादी के बाद भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू बनेंगे। जिससे मोहम्मद अली जिन्ना बिलकुल भी खुश नहीं थे। इसके बाद जिन्ना की मुस्लिम लीग ने पूरे देश डायरेक्ट एक्शन डे मनाने की घोषणा की तब पूरे देश में काफी दंगे हुए। केवल 2 दिन के भीतर कोलकाता में 4000 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए। उस समय पूरा देश सांप्रदायिकता की आग में जल रहा था। ऐसे में तमाम बड़े नेता शांति की कीमत पर विभाजन के लिए तैयार होना शुरू हो गए थे।

मोहम्मद अली जिन्ना चाहते थे एक अलग मुल्क

मोहम्मद अली जिन्ना के मन में शुरू से ही यह बात थी कि उन्हें एक अलग मुल्क चाहिए जिसमें मुस्लिम धर्म के अधिक लोग हों। उन्होंने मुस्लिम लोगों को पूरी तरह से अपनी तरफ कर लिया था। जिससे देश में लगातार हिंदू मुस्लिम की लड़ाई हो रही थी। लगातार दंगो के चलते महात्मा गांधी के मन में यह बात भी आई कि मोहम्मद अली जिन्ना को भारत का प्रधानमंत्री बना दिया जाए जिससे देश का विभाजन ना हो पाए। लेकिन उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू भी प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। जबकि जिन्ना अपनी बात पर अड़े हुए थे। आखिर में इंग्लैंड के लॉर्ड माउंटबेटन को बुलाया गया और सभी 565 रियासतों से यह कहा गया कि देश का विभाजन होना निश्चित है ऐसे में आप किसी एक राज्य को चुन लें।

सरदार पटेल ने संभाला रियासतों को भारत से जोड़ने का भार

सरदार वल्लभ भाई पटेल रियासत मंत्रालय के प्रमुख बनाए गए जबकि वी पी मेनन सचिव बने। भारत की कुल 565 रियासतों में से अधिकतर रियासतों ने भारत के साथ जुड़ने का फैसला किया। दूसरी तरफ बंगाल का विभाजन भी हुआ जो कि उस समय का पूर्वी पाकिस्तान कहलाया जो कि वर्तमान में बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है।
उस समय केवल 3 रियासतें ऐसी थी जो कि भारत से नही जुड़ना चाहती थी पहला गुजरात का जूनागड़, दूसरा हैदराबाद और तीसरा कश्मीर। गुजरात और हैदराबाद जहां पाकिस्तान से जुड़ना चाहते थे वहीं कश्मीर स्वतंत्र देश बनना चाहता था।



14 को पाकिस्तान... तो 15 अगस्त को स्वतंत्र हुआ हिंदुस्तान

लेकिन इस बीच सरदार वल्लभ भाई पटेल की समझदारी और पाकिस्तान की गलतियों के चलते भारत ने इन तीनों रियासतों को भी अपने से जोड़ लिया। 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और भारत की सीमाएं अलग अलग हो गई जबकि 15 अगस्त को भारत से अंग्रेज चले गए जिसके साथ ही भारत 190 वर्षों के बाद स्वतंत्र हो गया। लेकिन सच कहें तो उस दिन देश तो जरूर स्वतंत्र हो गया लेकिन लोग पराए हो गए। आज वर्तमान में दोनो देशों के बीच कितनी सारी खटास है। कौन कहेगा कि आज जो एक-दूसरे को मारने काटने पर आतुर हैं आज से सिर्फ 77 वर्ष पहले एक ही घर के दो सदस्य हुआ करते थे। उस विभाजन ने हमारे देश की कमर को ही तोड़ दिया जिससे उबरने में हम आज भी लगे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ जिन्ना साहब का मुस्लिम देश का सपना भले ही पूरा हो गया लेकिन पाकिस्तान के वर्तमान में क्या हालत हैं ये भी किसी से छुपा नहीं है। वहीं वर्तमान में बांग्लादेश में चल रहे नरसंहार, जाति, धर्म आधारित अराजकता से हम भली भांति परिचित हो चुके हैं।

वर्तमान में भारत अर्श तो फर्श पर पाक..

बंटवारे के बाद भले ही अखंड भारत को क्षति पहुंची लेकिन आज भारत काफी बेहतर स्थिति में पहुँच चुका है। भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर चल पड़ा है। भारत वर्ष आज विकाशसील देशों में गिना जाता है जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन इस देश को विकसित देशों की सूची में लाने पर है लेकिन इसका सबसे पहला कदम हमे अपनी सोच को बदल कर ही उठाना होगा। भारतवर्ष आज चाँद पर पहुँच चुका है। आज से कुछ साल पहले हम विदेशों में भी भारत की ताकत का नमूना देख चुके हैं, जब यूक्रेन रूस के युद्ध के दौरान भारतीय तिरंगा लेकर भारत वासी आसानी से अपने घर आये थे। G20 जैसे बड़े बड़े आयोजन बहुत ही सफलता पूर्वक भारत में आयोजित हुए हैं। दूसरी तरफ वर्तमान में हम अपने पड़ोसी देशों की स्थिति जानते ही हैं ऐसे में समझदारी यही है कि हम स्वर्ण युग के लिए देश में भाईचारा बढ़ाऐं और सब भारत वासी मिलजुलकर देश का नाम और ऊंचा करें।

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