SIR मुद्दे पर बवाल के बीच एक जुट हुआ India गठबंधन, दिल्ली में...
बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है। यह मामला अब राज्य से निकलकर दिल्ली तक पहुंच गया है। विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक ने इसे लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ हमला बोलना शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए बड़ी संख्या में लोगों का मताधिकार छीना जा रहा है।
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, इंडिया गठबंधन के नेता 7 अगस्त को एक विशेष डिनर मीटिंग करने जा रहे हैं। इस बैठक में SIR से जुड़े हालात की समीक्षा और आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। इसके अगले दिन, 8 अगस्त को विपक्षी दल मिलकर चुनाव आयोग मुख्यालय तक विरोध मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं।
संसद में चर्चा की मांग पर टकराव
इन दिनों संसद का मानसून सत्र चल रहा है, और विपक्ष लगातार SIR मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार वोटबंदी जैसी साजिश के जरिए समाज के वंचित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के मतदाता नाम सूची से हटवा रही है। इसे वे "वोटचोरी" और "गुप्त साजिश" बता रहे हैं।
सरकार ने चर्चा से किया इनकार
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष की इस मांग को अस्वीकार कर दिया। उनका कहना है कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था के कामों पर संसद में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ के पुराने निर्णय का हवाला देते हुए इसे असंवैधानिक बताया। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लोकसभा और राज्यसभा अध्यक्षों को ही लेना है।
TMC का केंद्र पर तीखा हमला
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि बीजेपी SIR पर संसद में चर्चा से डर रही है। उन्होंने इसे "चुपचाप चल रही अदृश्य गड़बड़ी" करार दिया। उनका कहना है कि 4 अगस्त से विपक्ष संसद में "नियमों और प्रक्रियाओं का मुफ्त ट्यूटोरियल" देगा।
विपक्ष की चेतावनी
विपक्षी दलों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार SIR पर चर्चा नहीं करती, तो पूरा मानसून सत्र बिना किसी ठोस कामकाज के समाप्त हो सकता है। विपक्ष का कहना है कि वे संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह दबाव बनाने की रणनीति पर काम करेंगे।
उपराष्ट्रपति चुनाव पर विपक्ष की रणनीति
इस बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे और चुनाव की घोषणा के बाद विपक्ष अब संयुक्त उम्मीदवार लाने की योजना भी बना रहा है। इससे यह साफ होता है कि आने वाले दिनों में विपक्ष पूरी तैयारी के साथ केंद्र सरकार के खिलाफ राजनीतिक मोर्चा खोलने जा रहा है।
Explainer: बिहार में कुछ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसी बीच राज्य में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को सामान्य और जरूरी बता रहा है, जबकि विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला कह रहा है. आइए सरल भाषा में समझते हैं कि आखिर मामला क्या है और क्यों विपक्ष इस पर इतना विरोध कर रहा है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हर चुनाव से पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची को दुरुस्त करता है ताकि गलत या फर्जी नाम हटाए जा सकें और नए योग्य मतदाता जोड़े जा सकें. इस बार बिहार में 22 साल बाद खास तरीके से वोटर लिस्ट की गहन जांच की जा रही है. इसे ही विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) कहा जा रहा है. इसमें 7.89 करोड़ मतदाताओं की पहचान और पते से जुड़े दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जैसे आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, माता-पिता की जानकारी, 1987 से पहले के राशन कार्ड या जमीन के कागजात.
विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध?
1. समय की कमी:
विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव में कुछ ही महीने बाकी हैं और इतने कम समय में करोड़ों लोगों से दस्तावेज जुटाना मुश्किल है. RJD नेता तेजस्वी यादव ने इसे “वोटबंदी” कहा है और आरोप लगाया कि यह गरीब, पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को वोट देने से रोकने की साजिश है.
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