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भारत-चीन संबंध एशिया के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण : एस जयशंकर

09:55 AM Sep 25, 2024 IST | Saumya Singh

एस जयशंकर : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि एक बहुध्रुवीय दुनिया में भारत और चीन के बीच संबंध एशिया और वैश्विक व्यवस्था के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एशिया परिवर्तन के अग्रणी छोर पर है और भारत इस परिवर्तन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख देशों में से एक है।

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Highlight : 

  • भारत-चीन संबंध एशिया और वैश्विक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण
  • एस जयशंकर ने कहा-एशिया परिवर्तन के अग्रणी छोर पर है
  • विदेश मंत्री ने भारत-चीन संबंधों के महत्व पर जार दिया

भारत-चीन संबंध एशिया और वैश्विक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण

जयशंकर ने कहा, एशिया उस बदलाव के मामले में सबसे आगे है। भारत उस बदलाव का नेतृत्व करने का हिस्सा है। लेकिन वह बदलाव आज वैश्विक व्यवस्था के ढांचे को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि अगर दुनिया को वास्तव में बहुध्रुवीय होना है, तो एशिया को भी इसी दिशा में कदम बढ़ाना होगा, और यह संबंध केवल एशिया के भविष्य को प्रभावित नहीं करेगा, बल्कि दुनिया के भविष्य पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। उन्होंने कहा कि भारत को अस्थिरता और अप्रत्याशितता के बीच अपने उभार के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा, जब देश उभरता है, तो वे सामान्यतः अनुकूल परिस्थितियों की उम्मीद करते हैं, लेकिन हमें अस्थिरता का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

जयशंकर ने दुनिया के वर्तमान परिप्रेक्ष्य को समझाने के लिए तीन शब्दों का उल्लेख किया: पुनर्संतुलन, बहुध्रुवीयता और बहुलवाद। उन्होंने "पुनर्संतुलन" शब्द का उपयोग करते हुए बताया कि एशिया ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, अगर कोई दुनिया की पिछली शीर्ष 20 अर्थव्यवस्थाओं को देखे, तो उनमें से अधिकतर अब एशियाई हैं। भारत, जो एक दशक पहले 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, अब 5वीं है और दशक के अंत तक तीसरे स्थान पर पहुंचने की संभावना है।

दूसरे शब्द के रूप में "बहुध्रुवीयता" का उल्लेख करते हुए, जयशंकर ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जिसमें निर्णय लेने के अधिक स्वतंत्र केंद्र बने हैं। उन्होंने बताया कि यह वैश्विक वास्तुकला पर प्रभाव डालता है और संयुक्त राष्ट्र के प्रारंभिक वर्षों में मौजूद द्विध्रुवीयता से एकध्रुवीयता की ओर बढ़ता है। तीसरे शब्द "बहुलवाद" के संदर्भ में, जयशंकर ने कहा कि यह द्विपक्षीय संबंधों से परे की दुनिया का संकेत देता है। यह एक बहुपक्षीय दुनिया है, जहां देश एक साथ मिलकर काम करते हैं और अभिसरण और ओवरलैप के आधार पर संयोजन बनाते हैं।

भारत-चीन संबंधों का महत्व केवल द्विपक्षीय स्तर पर नहीं

जयशंकर के इस संबोधन से यह स्पष्ट होता है कि भारत-चीन संबंधों का महत्व केवल द्विपक्षीय स्तर पर नहीं है, बल्कि यह वैश्विक परिवर्तन के संदर्भ में भी बेहद महत्वपूर्ण है। उनकी टिप्पणियों से यह भी संकेत मिलता है कि एशिया, विशेषकर भारत, भविष्य के वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।

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