Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

भारत-चीन : क्या तनाव खत्म होगा

भारत और चीन के बीच रिश्ते जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं।

12:52 AM Mar 10, 2022 IST | Aditya Chopra

भारत और चीन के बीच रिश्ते जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं।

भारत और चीन के बीच रिश्ते जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद बेहद नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। हाल ही के वर्षों में भारत के साथ रिश्तों को कई झटके लगे हैं। दोनों देशों में सीमा का सवाल वर्षों से अनसुलझा पड़ा है। 1975 से 45 साल तक दोनों देशों की सीमाओं पर शांति रही, सीमा प्रबंधन स्थिर रहा, कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ लेकिन 2020 में स्थितियां बदल गईं। भारत ने चीन के साथ सीमा जो असल में वास्तविक नियंत्रण रेखा है। उस पर सैन्य बलों की तैनाती नहीं करने के लिए समझौते किए लेकिन चीन ने उन समझौतों का उल्लंघन किया। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यह स्थिति चीन की ओर से भारत के साथ लिखित समझौतों की अवहेलना के कारण उत्पन्न हुई। भारत के​ विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई बार तलख बयान दिये। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि भारत-चीन रिश्ते बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं।
Advertisement
भारत और चीन तनाव कम करने के लिए एक बार फिर वार्ता कल चुशुल मोल्डो में होगी। दोनों देशों में 14 जनवरी को हुई 14वें दौर की बातचीत विफल रही थी। इस बैठक में भारत ने कहा कि हॉट स्प्रिंग, डेसपांग और डेमचोक इलाकों से अपने सैनिकों को पूरी तरह से वापिस हटा लें। सीमा पर हजारों सैनिकों की तैनाती अभी भी जारी है। कई भारी हथियार और साजो-सामान ​सीमा पर तैनात है। जिस तरह से दोनों देशों के सैन्य कमांडर फिर से बातचीत को तैयार हुए हैं उससे कुछ सकारात्मक नतीजे की उम्मीद है। 15वें दौर की बातचीत से पहले चीन के विदेश मंत्री वांग पी ने जो बयान दया है उससे भी सकारात्मक संकेत मिले हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए, न कि एक-दूसरे की ऊर्जा को बर्बाद करने में। जब दोनों देश स्थिरता और समृद्धि हासिल करेंगे और यहां शांति और सद्भाव बनी रहेगी तब तक वैश्विक शांति की एक मजबूत नींव मिलेगी। जैसा कि एक भारतीय कहावत है कि अपने भाई की नाव काे पार करने में मदद करें तो आपकी नाव पार पहुंच जाएगी। चीन के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ ताकतों ने चीन और भारत के बीच हमेशा तनाव पैदा करने की कोशिश की है। उनका इशारा अमेरिका की तरफ था। उन्होंने यह भी कहा कि चीन और भारत ने पिछले कुछ वर्षों से कुछ मुश्किलों का सामना किया है, जो दोनों देशों और उनके लोगों के बुनियादी हित में नहीं है।
15वें दौर की बातचीत उस समय हो रही है जब रूस और यूक्रेन में युद्ध चल रहा है। इस मामले में रूस, चीन और भारत एक ही लाइन में खड़े दिखाई देते हैं। बेहतर यही होगा कि दोनों देश सीमा मतभेदों का समाधान बातचीत से निकाल लें। भारत-चीन तनाव के बावजूद दोनों देशों में द्विपक्षीय व्यापार सौ अरब डालर के ​िवशाल आंकड़े को पार कर चुका है। दोनों देशों ने अपने व्यापार के लिए रिश्ताें को बेहतर किया है।
आज जिस प्रकार से आर्थिक वैश्विकरण ने दुनिया का स्वरूप बदल दिया है उसमें भारत, रूस और चीन तीनों देशों की भूमिका काफी ऊपर हो गई है। क्योंकि इन तीन देशों में दुनिया की आधी से अधिक आबादी इन्हीं तीनों देशों में रहती है। 
आर्थिक सम्पन्नता के लिए इनके बाजार शेष दुनिया की सम्पन्नता के लिए जरूरी है। मगर अपने आर्थिक हितों के संरक्षण के लिए सीमाओं पर शांति होना बहुत जरूरी है। दोनों देश आर्थिक प्रगति तभी कर सकते हैं जब भारत यह महसूस करे कि चीन से उसे कोई खतरा नहीं है। भारत के लोगों में 1962 के युद्ध की कड़वी यादें आज भी ताजा हैं जब एक तरफ चीनी फौजों ने हिन्दी, चीनी भाई-भाई का नारा लगाया था और दूसरी तरफ हमारी पीठ में छुरा घोपा था। चीन को इस बात का अहसास हो चुका है कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है। आज भारत पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली है। भारत से मुकाबला करना अब इतना आसान नहीं है। 
चीन को भी पहली बार सीमा पर भारत के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है। विदेशी मामलों के विशेषज्ञ इस बात पर एकमत हैं कि भारत और चीन में तनाव कम ​हो जाए तो वैश्विक परिदृश्य पर भारत, चीन और रूस का त्रिकोण बन सकता है। अगर यह ​ित्रकोण मैत्रीपूर्ण संबंध बनाकर काम करे तो यह त्रिकोण सभी पश्चिमी देशों पर भारी पड़ेगा। इसलिए जरूरी है कि चीन ईमानदारी से सीमा विवाद हल करे और उसकी विस्तारवादी नीतियां आड़े नहीं आएं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कल होने वाली बैठक में अगर चीन चीनी जैसी मिठास पैदा करता है तो सीमा पर व्यर्थ में इस्तेमाल की जा रही ऊर्जा खत्म हो सकती है और इस ऊर्जा का इस्तेमाल प्रगति के लिए किया जा सकता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
Advertisement
Next Article