For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

नशे की गिरफ्त में आता भारत

04:56 AM Mar 08, 2024 IST | Aakash Chopra
नशे की गिरफ्त में आता भारत

आज भारत का युवा वर्ग एक बड़ी संख्या में नशे की गिरफ्त में आता जा रहा है। हाल ही में एक सर्वेक्षण में पाया गया कि भारतीय खाद्य पदार्थों पर कम, नशीले पदार्थों पर ज्यादा खर्च कर रहे हैं। नशीले पदार्थों के साथ ही युवाओं के बीच बढ़ती नशे की दवाओं की लत बेहद चिंता का विषय बनी हुई है। भारत के कुछ राज्यों में इस समस्या का सामना बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों की बात करें तो पंजाब में नशे का ये धंधा बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है। हालांकि भारत सरकार और राज्य सरकारें इस पूरे नशे के कारोबार को ध्वस्त करने का हर संभव प्रयास करती हैं लेकिन हर बार सामने आते मामले इन प्रयासों की पोल खोलकर रख देते हैं। हाल ही में आंकड़े सामने आए हैं। ड्रग वॉर डिस्टॉर्शन और वर्डोमीटर के अनुसार दुनियाभर में अवैध दवाओं का व्यापार लगभग 30 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है। इसके साथ ही नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 16 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं जिसमें महिलाओं का संख्या काफी अधिक है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आबादी के 10 से 75 साल के बीच के लगभग 20 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के नशे की गिरफ्त में हैं।
नशीले पदार्थों का बढ़ता व्यापार न केवल एक सामाजिक बीमारी है, बल्कि एक बहुआयामी खतरा है जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय शांति पर गहरा प्रभाव पड़ता है। समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उभरती आर्थिक संभावनाओं वाला देश भारत खुद को इस वैश्विक संकट के जाल में फंसा हुआ पाता है और अन्तर्राष्ट्रीय मादक पदार्थों की तस्करी के मार्ग में एक प्रमुख बाजार और एक पारगमन बिंदु होने की दोहरी भूमिका से जूझ रहा है। समस्या के मूल में भारत की भौगोलिक स्थिति है, जो कुख्यात गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल से घिरा हुआ है जो प्रचुर मात्रा में दवा उत्पादन के लिए कुख्यात क्षेत्र हैं। अस्पष्ट खुफिया अभियानों के गठजोड़ द्वारा समर्थित ये क्षेत्र भारतीय उपमहाद्वीप में भारी मात्रा में हेरोइन और मेथामफेटामाइन लाते हैं जो वैश्विक मांग का लगभग 90 प्रतिशत पूरा करते हैं।
इस अवैध व्यापार में वित्तीय लेन-देन का पैमाना बहुत बड़ा है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाके और म्यांमार के शान और काचिन प्रांत जैसे क्षेत्र राज्य अभिनेताओं के अप्रत्यक्ष समर्थन के साथ विद्रोही समूहों के तत्वावधान में कच्ची अफ़ीम को हेरोइन में बदलने के केंद्र बन गए हैं। अपनी खुली सीमाओं के लिए कुख्यात ये क्षेत्र न केवल नशीले पदार्थों के उत्पादन केंद्र हैं, बल्कि अवैध हथियारों के विनिर्माण केंद्र भी हैं जिससे सुरक्षा परिदृश्य और जटिल हो गया है।
यूं तो देश के विभिन्न भागों में नशीले पदार्थों की बरामदगी और तस्करों की गिरफ्तारी आम बात है। मगर जब कोई नशे की बड़ी खेप की बरामदगी होती है तो चिंताएं बढ़ जाती हैं। जहां घातक नशा हमारी युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट करके आत्मघात के रास्ते पर ले जा रहा है वहीं नशे से उगाहे जाने वाले पैसे से अपराध व आतंकवाद की दुनिया ताकतवर हो रही है। नौसेना, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनबीसी और गुजरात पुलिस के साझे आप्रेशन में एक नाव से अब तक की सबसे बड़ी तीन हजार तीन सौ किलो ड्रग्स बरामद की है। इस नाव पर सवार पांच तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है। आशंका है कि तस्कर पाकिस्तान के हो सकते हैं क्योंकि पैकेटों पर पाकिस्तानी कंपनी की मोहर लगी बतायी जाती है। बरामद नशीले पदार्थ की कीमत दो हजार करोड़ रुपये है। कल्पना कीजिये कि यह नशा यदि हमारे युवाओं की नसों में उतरता तो कितनी बड़ी हानि होती और भारत की दुर्लभ मुद्रा नशा तस्करों के हाथ में पहुंचती। बहुत संभव है कि आतंकवाद व अपराध की दुनिया को मजबूत करती। एनसीबी के अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि समुद्र में किसी बोट से यह अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी है। इससे पहले गत 22फरवरी को पुणे से 700 किलो और दिल्ली से 400 किलो ड्रग्स मेफेड्रोन बरामद की गई थी जिसकी कीमत ढाई हजार करोड़ रुपये थी। इस बरामदगी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में किस पैमाने पर नशीले पदार्थों का उपयोग बढ़ रहा है। नशीले पदार्थों की उस मात्रा की कल्पना करने से भी डर लगता है जो सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचकर निकल जाती होगी।
समंदर के रास्ते नशे का कारोबार कोई छिपी बात नहीं है। यह इसलिए सुरक्षित माना जाता है कि बंदरगाहों पर उतरने वाली वस्तुओं की नियमित जांच नहीं होती। औचक निरीक्षण में कभी-कभार ही कुछ संदिग्ध वस्तुओं और नशीले पदार्थों की पहचान हो पाती है। लगातार इतने मामले प्रकाश में आने के बावजूद यह समझना मुश्किल है कि बंदरगाहों पर निगरानी चौकस क्यों नहीं की जाती। मैक्सिको, काेलम्बिया और इक्वाडोर जैसे देश ड्रग्स माफिया ने बर्बाद कर दिए हैं। वहां की युवा पीढ़ी नशे की शिकार हो चुकी है और ड्रग्स माफिया का तंत्र इतना जटिल है कि उनसे सत्ता भी कांपती है। भारत को बहुत ही सतर्क रहकर नशे के कारोबार पर अंकुश लगाना होगा।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aakash Chopra

View all posts

Advertisement
×