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'भारत धर्मशाला नहीं, जो दुनियाभर से आए शरणार्थियों को रख सके...', Supreme Court का बड़ा बयान

भारत में शरणार्थियों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट का बयान

04:53 AM May 19, 2025 IST | Shivangi Shandilya

भारत में शरणार्थियों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट का बयान

 भारत धर्मशाला नहीं  जो दुनियाभर से आए शरणार्थियों को रख सके      supreme court का बड़ा बयान

सुप्रीम कोर्ट ने एक श्रीलंकाई नागरिक की शरण याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है जो दुनियाभर के शरणार्थियों को संभाल सके। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत पहले से ही 140 करोड़ लोगों की समस्याओं से जूझ रहा है और शरणार्थियों के लिए यहां जगह नहीं है। 2018 में ट्रायल कोर्ट ने उसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और 10 साल जेल की सज़ा सुनाई।

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक श्रीलंकाई नागरिक की शरण याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां हम दुनियाभर के विदेशी नागरिकों को ठहरा सकें। कोर्ट ने कहा कि क्या दुनियाभर के शरणार्थियों को भारत में शरण दी जा सकती है? हम 140 करोड़ लोगों से जूझ रहे हैं।

श्रीलंकाई नागरिक की याचिका पर सुनवाई

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ एक श्रीलंकाई नागरिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे 2015 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के साथ संबंध के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। LTTE कभी श्रीलंका में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन था।

याचिकाकर्ता ने क्या था?

याचिकाकर्ता को विदेशी अधिनियम मामले और UAPA मामले में दोषी ठहराया गया है। वह भारत में इस आधार पर रहना चाह रहा था कि अगर वो श्रीलंका वापस गया तो उसे मार दिया जाएगा। कोर्ट की एक बेंच ने इस मामले में विचार करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। इस दौरान कोर्ट ने आगे कहा अगर तुम्हारी जान को खतरा है तो किसी अन्य देश चले जाओ। कोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के युवक को भारत में हत्या के एक मामले में 7 साल की सजा काटने के बाद ही निर्वासित किया जाएगा।

क्या है पूरा मामला?

2018 में ट्रायल कोर्ट ने उसे गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और 10 साल जेल की सज़ा सुनाई। 2022 में मद्रास उच्च न्यायालय ने उसकी सज़ा घटाकर सात साल कर दी, लेकिन उसे अपनी सज़ा पूरी होते ही देश छोड़ने और निर्वासन से पहले शरणार्थी शिविर में रहने को कहा।

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