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भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की रणनीति बनाई, अब नहीं मिलेगा IMF से एक पैसे का कर्ज!

भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की अपील की

03:05 AM May 04, 2025 IST | IANS

भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की अपील की

भारत ने पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोकने की रणनीति बनाई  अब नहीं मिलेगा imf से एक पैसे का कर्ज
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भारत ने पाकिस्तान को आर्थिक संकट में डालने के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से उसकी मदद रोकने की अपील की है। आईएमएफ और अन्य वित्तीय संस्थानों से पाकिस्तान को दिए गए ऋण की समीक्षा की जाएगी। भारत का उद्देश्य पाकिस्तान को आर्थिक रूप से कमजोर कर उसके कूटनीतिक और रणनीतिक कदमों को विफल करना है।

भारत पाकिस्तान को हर मोर्चे पर शिकस्त देना चाहता है। रणनीतिक और कूटनीतिक घेराबंदी के साथ ही नई दिल्ली इस्लामाबाद को पाई-पाई के लिए भी मोहताज करना चाहती है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित बहुपक्षीय एजेंसियों से पाकिस्तान को दिए गए धन और ऋण पर फिर से विचार करने के लिए कहेगा। साथ ही वैश्विक धन शोधन निरोधक एजेंसी, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) से इस्लामाबाद को ‘ग्रे’ सूची में डालने की अपील की जाएगी।

एक सरकारी सूत्र ने कहा कि भारत, दिवालियापन से बचने में मदद के लिए हाल के महीनों में आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को दी गई सुविधाओं की समीक्षा की मांग करेगा। वह परियोजनाओं को फंड देने वाली विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसी अन्य एजेंसियों के साथ भी संपर्क में है।

यह सभी जानते हैं कि पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। वह पूरी तरह से विदेशी कर्ज पर निर्भर है। अगर पाकिस्तान को मिलने वाली विदेशी आर्थिक मदद को रोक दिया जाए या मुश्किल बना दिया जाए तो उसके लिए अपने वजूद को बचाना ही सबसे बड़ा सवाल बन जाएगा।

पाकिस्तान ने पिछले साल आईएमएफ से 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट प्रोग्राम हासिल किया था और मार्च में उसे 1.3 बिलियन डॉलर का नया जलवायु ऋण मिला था। जनवरी 2025 में विश्व बैंक ने नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को उसकी चुनौतियों से उबरने के लिए 20 अरब डॉलर के ऋण पैकेज को मंजूरी दी थी।

आईएमएफ का कार्यकारी बोर्ड विस्तारित वित्तपोषण की पहली समीक्षा के लिए 9 मई को पाकिस्तानी अधिकारियों से मिलने वाला है।

जानकारों का कहना है कि आईएमएफ को 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले के मद्देनजर पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए। उसे आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के समर्थन को ध्यान में रखते हुए कठोर शर्तों के बिना वित्तीय सहायता जारी रखने से आर्थिक स्थिरता और सुधार के मूल उद्देश्यों को नुकसान पहुंचने का खतरा है। आईएमएफ को यह सुनिश्चित किया जा सके कि वित्तीय सहायता अनजाने में उन गतिविधियों को बढ़ावा न दे, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करती हैं।

बता दें आतंकियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल – पहलगाम स्थित बैसरन घाटी में लोगों (ज्यादातर पर्यटक) पर गोलियां चला दी थीं। हमले में 26 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। प्रतिबंधित आतंकवादी समूह ‘लश्कर-ए-तैयबा’ से जुड़े ‘टीआरएफ’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। नई दिल्ली ने इस्लामबाद के खिलाफ कई सख्त कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाए हैं। इनमें 1960 के सिंधु जल समझौते को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने, अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद करने, पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने, शामिल हैं।

भारत के इन फैसलों के बाद पाकिस्तान ने शिमला समझौते को स्थगित करने और भारतीय उड़ानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने, भारतीय नागरिकों के वीजा रद्दे करने जैसे कदम उठाए।

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