'लोकतंत्र के लिए दुखद दिन', महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता निष्कासित होने पर ममता का हमला
संसद सदस्यता गंवाने वाली महुआ मोइत्रा के समर्थन में बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। टीएमसी अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि महुआ मोइत्रा पर फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। संविधान और लोकतंत्र की हत्या हुई। स्पीकर ने जल्दबाजी में फैसला लिया। ममता ने कहा कि आज मुझे बीजेपी पार्टी का रवैया देखकर दुख हो रहा है। उन्होंने लोकतंत्र को कैसे धोखा दिया। उन्होंने महुआ को अपना रुख स्पष्ट करने की अनुमति नहीं दी। सरासर अन्याय हुआ है। जनता बीजेपी को जवाब देगी।
संवैधानिक अधिकारों के साथ धोखा
सीएम ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘यह संसदीय लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है। जिस तरह से महुआ मोइत्रा को निष्कासित किया गया, उसकी हम निंदा करते हैं, पार्टी उनके साथ खड़ी है। वे (भाजपा) हमें चुनाव में नहीं हरा सकते, इसलिए उन्होंने बदले की राजनीति का सहारा लिया है। यह दुखद दिन है और भारतीय संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है।'' टीएमसी प्रमुख ने आरोप लगाया कि भाजपा ने मोइत्रा को अपना पक्ष रखने की भी अनुमति नहीं दी। बनर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन, वह (मोइत्रा) बड़े जनादेश के साथ संसद में लौटेंगी। भाजपा सोचती है कि पार्टी जो चाहे कर सकती है, क्योंकि उनके पास प्रचंड बहुमत है। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब वे सत्ता में नहीं रहेंगे।''
लेनदेन का कोई सबूत नहीं- तृणमूल कांग्रेस
वहीं, तृणमूल कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के मामले में आचार समिति की कार्यवाही की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। टीएमसी ने लोकसभा में कहा कि पार्टी नेता के खिलाफ नकदी के लेनदेन का कोई सबूत नहीं है। सदन में आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा अध्यक्ष से कई बार आग्रह किया कि मोइत्रा को उनका पक्ष रखने का मौका दिया जाए, लेकिन बिरला ने पुरानी संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
यह निष्पक्ष सुनवाई नहीं है
बिरला ने पार्टी सांसद कल्याण बनर्जी को बोलने का मौका दिया। सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा समिति की पूरी रिपोर्ट मीडिया में लीक कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि महुआ को बोलने का मौका दिया जाए।'' कल्याण बनर्जी ने कहा, ‘‘निष्पक्ष सुनवाई तब होती है जब प्रभावित व्यक्ति को सुना जाता है। अगर उसे सुना नहीं जाएगा तो कोई निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी।'' संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘ लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के समय 10 लोगों को निष्कासित किया गया था। उस समय चटर्जी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आरोपी सांसद समिति के समक्ष पेश हुए, ऐसे में इन्हें सदन में