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Amrit Lal Agrawal : पुलिस करती थी महिलाओं को परेशान, दूर से बेबस होकर देखता रहता था

08:08 PM Aug 21, 2024 IST
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Amrit Lal Agrawal : पुलिस करती थी महिलाओं को परेशान

26 जून 1975 का वो काला दिन जब वो सुबह मेरे जीवन में अंधकार लेकर आई थी। बता दें कि हौज खास स्थित मेरे घर पर सुबह करीब 7-3 बजे पुलिस मुझे गिरफ्तार करने पहुंची थी। साथ ही मेरी पत्नी और वृद्ध मां से पूछताछ करते हुए पुलिस ने उन्हें काफी परेशान किया। मुझे इसकी सूचना मिल चुकी थी कि पुलिस ने मेरे घर को छावनी में तब्दील कर दिया है। लेकिन बेबस होकर मैं दूर से देखता रहा। अब घर जाना मेरे लिए, ठीक नहीं था। इसलिए दर-दर की ठोकरें खाकर दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद लेने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था।

20 दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा, लेकिन पुलिस की यातनाओं से परिवार के लोगों को जूझते हुए देखकर मैं कुछ भी न कर सका। पुलिस मेरी मां और पत्नी से मेरा ठिकाना पूछती थी। मेरा परिवार सारी रात सो नहीं पाता था। 1975 के आपातकाल के दिनों की याद कर 35 वर्षीय पीतमपुरा निवासी और आईआईटी दिल्ली से सेवानिवृत प्रोफेसर अमृत लाल अग्रवाल(Amrit Lal Agrawal) का गलासूख जाता है और आंखें भर आती हैं।

Amrit Lal Agrawal :जेल में की साफ-सफाई

सेवानिवृत्त प्रोफेसर अमृत लाल अग्रवाल(Amrit Lal Agrawal) दिल्ली विश्वविद्यालय के भगत सिंह कॉलेज में वाणिज्य शास्त्र के प्रोफेसर थे। इसी दौरान वह जनसंघ से जुड़ गए थे। 1972-73 में वह दिल्ली के मालवीय नगर क्षेत्र के अध्यक्ष भी रहें। इनपर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ पर्चा बांटने का आरोप लगाया गया था। इसी आरोप में अमृत लाल अग्रवाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 25 जुलाई 1975 को रात के वक्त पुलिस उन्हें घर से हौज खास पुलिस चौकी ले गई।

वहां पर उस दौर के सांसद दलीप सिंह (कांग्रेस) से बात करने को कहा गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। अमृत लाल अग्रवाल का कहना है कि हाथ में हथकड़ी पहनाकर जब पुलिस तीस हजारी कोर्ट ले जा रही थी तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे में कोई बड़ा अपराधी हूं। मैं उस पीड़ा को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। तिहाड़ जेल के वार्ड नं-13 में मुझे बंद कर दिया गया था और जेल में साफ-सफाई करनी पड़ी।

Amrit Lal Agrawal : दो बार हुई थी गिरफ्तारी

प्रोफेसर अमृता लाल अग्रवाल(Amrit Lal Agrawal) गिरफ्तार होने के 15 दिनों के बाद जेल से रिहा हुए। उन्होंने बताया कि इसके बाद सितम्बर 1975 में मुझे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। इस बार मुझे वार्ड नं-15 में रखा गया था। जमानत के बाद यह जानकारी मिली कि मुझ पर मीसा वारेंट है और पुलिस मुझे फिर से गिरफ्तार कर सकती है। उसके बाद आपातकाल हटने के 19 महीने तक अपने बड़े भाई डॉ एलपी अग्रवाल के साथ रहा। इमरजेंसी की कड़वी याद को याद करते हुए अमृत लाल कहते हैं कि इस आपातकाल से इंदिरा गांधी की छवि को नुकसान पहुंचा।उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां आपातकाल जैसे उपायों को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।

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