आषाढ़ी एकादशी आज, PM नरेंद्र मोदी ने दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आषाढ़ी एकादशी पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। द्वीट कर इस त्योहार में विनम्रता और करुणा के भाव को बनाए रखने की अपील की।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा, आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएँ। भगवान विठ्ठल का आशीर्वाद सदैव हम पर बना रहे और हम सभी को सुख और समृद्धि से भरपूर समाज बनाने के लिए प्रेरित करे। यह त्योहार आपमें भक्ति, विनम्रता और करुणा का संचार करे। हम भी अत्यंत ईमानदारी से गरीब से गरीब लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित हों।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आषाढी एकादशी पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं
- इस त्योहार में विनम्रता और करुणा के भाव को बनाए रखने की अपील की
- प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा, आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएँ
PM ने सोशल मीडिया पर किया पोस्ट
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पोस्ट में भगवान विठ्ठल का जिक्र किया। दरअसल, भगवान विठ्ठल, विठोबा अर्थात पाण्डुरंग एक हिन्दू देवता हैं जिनकी पूजा मुख्य तौर पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश में होती है। इन्हें भगवान विष्णु अथवा उनके अवतार, कृष्ण की अभिव्यक्ति भी माना जाता है।
आपको बता दें कि इस खास अवसर पर आज तड़के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी पत्नी संग पंढरपुर स्थित मंदिर में श्री विठ्ठल रुक्मिणी महापूजा संपन्न की।
CM एकनाथ शिंदे ने भी किए मंदिर में दर्शन
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के साथ किसान बालू शंकर अहिरे (55 वर्ष) और उनकी पत्नी आशाबाई बालू अहिरे (50 वर्ष) भी बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। 17 जुलाई दोपहर 2:20 बजे सरकारी विश्राम गृह से, श्री विट्ठल रखुमाई मंदिर तक ड्राइव की और श्री विट्ठल-रुक्मिणी माता की आधिकारिक महापूजा की। प्रातः 4:30 बजे प्रतिनिधि रूप में भक्तों को देववृक्ष सुवर्ण पिम्पल बीज प्रसाद का वितरण किया। महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे का कहना है, ”पंढरपुर यात्रा, आषाढ़ी यात्रा इस बार बड़े उत्साह के साथ आयोजित की जा रही है। हमारे भाई-बहन पिछले साल से ज्यादा यहां आए हैं. सरकार और जिला प्रशासन ने उनके लिए व्यवस्था की है। आज, मैं हमारे वारकरी समुदाय के लोगों से मिला और उन्होंने अपनी खुशी व्यक्त की जो उनके चेहरे पर दिखाई दे रही थी।” आषाढ़ी एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहते हैं। इसे भगवान विष्णु का शयन काल माना जाता है। पुराणों के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं। इसे हरिशयनी एकादशी कहा जाता है। इसी दिन से चातुर्मास प्रारंभ हो जाते हैं।
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