असमिया मुसलमानों का होगा सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन, कैबिनेट ने फैसले को दी मंजूरी
असम की हिमंता बिस्वा सरमा कैबिनेट ने असम के पांच स्वदेशी मुस्लिम समुदायों गोरिया, मोरिया, देशी, सैयद और जोल्हा के सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कराने का फैसला किया है। बता दें असम सरकार (Assam Government) ने कहा कि वह राज्य में मूल असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन करेगी।
- मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक स्तर होगा मजबूत
- कैबिनेट ने फैसले को दी मंजूरी
- सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू कराने का फैसला
मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन किया जाएगा
आपको बता दें हिमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।शर्मा ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “अल्पसंख्यक मामले एवं छार क्षेत्र निदेशालय के माध्यम से मूल असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन किया जाएगा।”मंत्रिमंडल की बैठक में छार क्षेत्र विकास निदेशालय का नाम बदलकर अल्पसंख्यक मामले एवं छार क्षेत्र, असम करने के निर्णय लिया गया।कैबिनेट ने माघ बिहू के दौरान आयोजित होने वाली पारंपरिक भैंसे और सांडों की लड़ाई की अनुमति देने के लिए विस्तृत प्रक्रिया/मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।
असम कैबिनेट ने दे दी इसकी मंजूरी
दरअसल, इस समीक्षा के निष्कर्ष मूल जनजातीय अल्पसंख्यकों के व्यापक सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षणिक उत्थान के उद्देश्य से उपयुक्त कदम उठाने के लिए राज्य सरकार का मार्गदर्शन करेंगे। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब कुछ महीने पहले ही बिहार की नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार ने जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी किए। बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े आते ही असम की सरकार ने इन मुस्लिमों को लेकर ऐसा सर्वेक्षण करवाने की बात कही थी. चंद हफ्तों में ही असम कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है।
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