रोहिंग्या मुस्लिम पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब, कहा - 'इनके रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव'
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अवैध रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों को भारत में रहने और बसने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है और न्यायपालिका अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वालों को शरणार्थी का दर्जा देने के लिए एक अलग श्रेणी बनाने के लिए संसद और कार्यपालिका के विधायी और नीतिगत डोमेन में प्रवेश नहीं कर सकती है।
Highlights
- रोहिंग्या मुस्लिम पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिया जवाब
- अनुच्छेद 21 के तहत केवल जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा
अनुच्छेद 21 के तहत केवल जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए सरकार ने एक हलफनामे में कहा कि एक विदेशी को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत केवल जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है और उसे देश में निवास करने और बसने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत यूएनएचसीआर शरणार्थी कार्डों को मान्यता नहीं देता है जिसे कुछ रोहिंग्या मुसलमानों ने शरणार्थी स्थिति का दावा करने के आधार के रूप में उपयोग करने के लिए सुरक्षित किया है।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा
सरकार ने दावा किया कि रोहिंग्याओं के लगातार अवैध तरीके से रहने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि भारत ने 1951 के शरणार्थी समझौते पर या शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित प्रोटोकाल, 1967 पर हस्ताक्षर नहीं किया है।इस प्रकार किसी भी वर्ग के व्यक्ति को शरणार्थी के रूप में मान्यता दी जानी है या नहीं, यह एक शुद्ध नीतिगत निर्णय है। हलफनामा उस याचिका के संबंध में दाखिल किया गया है, जिसमें केंद्र को उन रोहिंग्याओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिन्हें जेलों या हिरासत केंद्रों या किशोर गृहों में रखा गया है।
विदेशी अधिनियम के प्रविधानों के कथित उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया
इन्हें बिना कोई कारण बताए या विदेशी अधिनियम के प्रविधानों के कथित उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया है। हलफनामे में कहा गया है कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी और सीमित संसाधनों वाले विकासशील देश के रूप में अपने नागरिकों को प्राथमिकता देना आवश्यक है। इसलिए विदेशियों को शरणार्थी के रूप में पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। खासकर ऐसी स्थिति में जब ज्यादातर विदेशियों ने अवैध रूप से देश में प्रवेश किया है।
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