नागरिक-केंद्रित पहल ने कर प्रशासन में लोगों का भरोसा बढ़ाया : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को करदाताओं की संख्या बढ़ाने का आह्वान करने के साथ ही कहा कि यह काम आक्रामक तौर-तरीकों के बजाय परामर्श के जरिये अंजाम दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने कहा कि नागरिक-केंद्रित पहल ने कर प्रशासन में लोगों का भरोसा बढ़ाया है। धनखड़ ने यहां भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के प्रशिक्षु अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले दशक में प्रत्यक्ष कर संग्रह में तीन गुना वृद्धि देखी गई है और आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले लोगों की संख्या लगभग ढाई गुना बढ़ गई है।
- प्रत्यक्ष कर संग्रह में तीन गुना वृद्धि
- कर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी रूप से सुसज्जित
- करदाताओं की संख्या परामर्श का सहारा लेकर बढ़ाई जानी चाहिए
कर अनुपालन के लिए एक तंत्र
उन्होंने कहा कि करदाताओं के साथ कर प्रशासक का रिश्ता अब एकजुटता और सर्वसम्मति का है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आयकर विभाग के पास अब लोगों के पुराने लेनदेन के बारे में जानने, जागरूकता बढ़ाने और कर अनुपालन के लिए एक तंत्र है। उन्होंने कहा कि विभाग व्यक्तियों तक पहुंचने और आसान कर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी रूप से भी सुसज्जित है।
करदाताओं की संख्या वांछनीय
इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि संभावित करदाताओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा होने के लाभ के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। धनखड़ ने कहा, ‘‘कर संग्रह की क्षमता में अब भी काफी गुंजाइश है। यह 1.4 अरब लोगों का देश है और हमारी जनसंख्या के अनुपात में करदाताओं की संख्या वांछनीय नहीं है। हमें यह संख्या बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहा, ‘‘करदाताओं की संख्या आक्रामक कार्रवाइयों से या जबर्दस्ती नहीं बल्कि परामर्श का सहारा लेकर बढ़ाई जानी चाहिए और मुझे यकीन है कि आप हमेशा ऐसा करेंगे।
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