निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉण्ड का पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराया गया: SBI
Electoral Bonds: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने चुनावी बॉण्ड के संबंध में अपने पास मौजूद सारी जानकारी निर्वाचन आयोग को उपलब्ध करा दी है।
Highlights:
- निर्वाचन आयोग को चुनावी बॉण्ड का पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराया गया: SBI
- साइबर सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए
- राजनीतिक दलों की पहचान के लिए ये आवश्यक भी नहीं
साइबर सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए
शीर्ष अदालत में दाखिल एक अनुपालन हलफनामे में एसबीआई के अध्यक्ष ने कहा कि साइबर सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक दलों के बैंक खाते की पूरी संख्या और केवाईसी के विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए।
राजनीतिक दलों की पहचान के लिए ये आवश्यक भी नहीं
बैंक के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया, ‘‘इसी तरह, सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए दानदाताओं के केवाईसी विवरण भी सार्वजनिक नहीं किए गए। हालांकि, तथ्य यह भी है कि ऐसी जानकारी प्रणाली में दर्ज/संकलित नहीं की जाती है। राजनीतिक दलों की पहचान के लिए ये आवश्यक भी नहीं हैं।’’
एसबीआई ने जानकारी का खुलासा किया
हलफनामे में कहा गया है कि एसबीआई ने जानकारी का खुलासा किया है, जिसमें बॉण्ड के खरीदार का नाम, उसका मूल्य और विशिष्ट संख्या, इसे भुनाने वाली पार्टी का नाम और बैंक खाता संख्या के अंतिम चार अंक दर्शाए गए हैं। इसमें कहा गया, ‘‘एसबीआई ने 21 मार्च को निर्वाचन आयोग को अपने पास मौजूद चुनावी बॉण्ड के सभी विवरण प्रदान किए हैं।’’
उच्चतम न्यायालय ने 18 मार्च को एसबीआई को फटकार लगाया
हलफनामे में कहा गया, ‘‘एसबीआई ने 15 फरवरी, 2024 और 18 मार्च 2024 को इस न्यायालय द्वारा पारित आदेशानुसार अब सभी विवरणों (पूर्ण खाता संख्या और केवाईसी ब्यौरा के अलावा) का खुलासा कर दिया है।’’ उच्चतम न्यायालय ने 18 मार्च को एसबीआई को फटकार लगाते हुए उसे मनमाना रवैया न अपनाने और 21 मार्च तक चुनावी बॉण्ड योजना से संबंधित सभी जानकारियों का ‘‘पूरी तरह खुलासा’’ करने को कहा था।
सभी जानकारियों का खुलासा करने का निर्देश दिया था
उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड से संबंधित सभी जानकारियों का खुलासा करने का निर्देश दिया था जिसमें विशिष्ट बॉण्ड संख्याएं भी शामिल हैं। इससे पहले, 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने केंद्र की विवादास्पद चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था। साथ ही एसबीआई को 13 मार्च तक निर्वाचन आयोग को दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकताओं के बारे में खुलासा करने का आदेश दिया था।
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