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Defence Ministry : स्वदेश में ही बनाए जाएंगे 1,048 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण

04:49 PM Jul 16, 2024 IST
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Defence Ministry : विदेश से आयात किए जाने वाले करीब 1,048 करोड़ रुपये मूल्य के रक्षा उपकरणों को भारत में ही बनाया जाएगा। इसके लिए रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग ने 346 वस्तुओं वाली एक सूची को अधिसूचित किया है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए यह पांचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची है।

Highlight : 

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को मिलेगा बढ़ावा

इससे पहले, रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा 4,666 वस्तुओं की चार सूचियां अधिसूचित की गई थी, जिनका आयात प्रतिस्थापन मूल्य 3,400 करोड़ रुपये है। इन वस्तुओं व उपकरणों का पहले ही स्वदेशीकरण किया जा चुका है। डीपीएसयू के लिए ये पांच सूचियां सैन्य मामलों के विभाग द्वारा अधिसूचित 509 वस्तुओं की पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों के अतिरिक्त हैं। इन सूचियों में अत्यधिक जटिल प्रणालियां, सेंसर, हथियार और गोला-बारूद शामिल हैं।

भारत में ही बनाए जाएंगे 1,048 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण

जून 2024 तक, डीपीएसयू और एसएचक्यू द्वारा स्वदेशीकरण के लिए उद्योग को 36,000 से अधिक रक्षा वस्तुओं की पेशकश की गई थी। उनमें से पिछले तीन वर्षों में 12,300 से अधिक वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया गया है। परिणामस्वरूप, डीपीएसयू ने घरेलू विक्रेताओं को 7,572 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए हैं। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इनमें रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लाइन रिप्लेसमेंट यूनिट/सिस्टम/सब-सिस्टम/असेंबली/सब-असेंबली/स्पेयर और कंपोनेंट तथा कच्चा माल शामिल है। इनका आयात प्रतिस्थापन मूल्य 1,048 करोड़ रुपये है। रक्षा मंत्रालय ने 2020 में एक 'सृजन पोर्टल' लॉन्च किया था।

रक्षा उत्पादन विभाग ने 346 वस्तुओं वाली एक सूची को अधिसूचित किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' संकल्प के लिए विस्तृत पैमाने पर किए गए प्रयासों से रक्षा वस्तुओं के स्वदेशीकरण में उल्लेखनीय परिणाम सामने आए हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण को साकार करने के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों की पांचवीं सूची में उल्लिखित वस्तुओं का स्वदेशीकरण विभिन्न तरीकों से किया जाएगा। इसमें 'मेक' प्रक्रिया या एमएसएमई सहित उद्योग को शामिल करते हुए स्वदेश में ही विकास शामिल है। इससे अर्थव्यवस्था में वृद्धि को गति मिलेगी, रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। इससे अकादमिक और शोध संस्थानों की भागीदारी के कारण घरेलू रक्षा उद्योग की डिजाइन क्षमताओं में वृद्धि होगी।

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