Goga Navami : जानिए कब है गोगा नवमी, क्यों मनाई जाती है?
गोगाजी महाराज का मेला जिसके लिए रेल-वे चलाता है मेला स्पेशल ट्रेन
गोगा नवमी(Goga Navami) उत्तर भारत का प्रसिद्ध त्योहार है। यह करीब 9 दिनों तक लगातार चलता है। इसकी शुरुआत रक्षाबंधन के दूसरे दिन से होती है और गोगा नवमी के दिन समापन होता है। हालांकि वैसे तो समस्त भारत में गोगा नवमी का त्योहार मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में यह विशेष लोकप्रिय है। श्री गोगाजी महाराज की पूजा का कार्यक्रम रक्षाबंधन के दूसरे दिन आरम्भ हो जाता है। जो कि गोगाजी महाराज की जयंती अर्थात भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को विशेष पूजा, अनुष्ठान और मेले का आयोजन होता है। मुख्य रूप से राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के गोगामेड़ी नामक गांव में बहुत विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यह स्थान वास्तव में गोगाजी महाराज का समाधि स्थल है। यहां श्री गोगाजी महाराज का बहुत विशाल मंदिर है।
इस दिन राजस्थान के अलावा उत्तर-प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और जम्मू और कश्मीर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु गोगा जी महाराज के स्थान पर उनके दर्शन करते हैं। इस मेले के अलावा इस दिन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर में भी बड़ा मेला लगता है।
रेल-वे चलाता है स्पेशल मेला ट्रेन
जैसा कि मैं बता चुका हूं कि हनुमानगढ़ जिले भादरा तहसील के अन्तर्गत गोगामेड़ी नामक गांव में जो मेला लगता है वह श्रद्धालुओं के संख्या के लिहाज से बहुत विशाल होता है। इस मेले में श्रद्धालुओं की संख्या का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि लाखों लोगों की भीड़ को सुविधा प्रदान करने के लिए रेल-वे स्पेशल ट्रेन चलाता है। रेल-वे मेले के खास दिनों में जो विशेष ट्रेन चलाता है उस ट्रेन का उद्देश्य यही रहता है कि गोगाजी महाराज के दर्शनों के लिए आने में आसानी हो सके। इसे मेला स्पेशल ट्रेन कहा जाता है और प्रति वर्ष यह ट्रेन चलाई जाती है।
इस बार भी रेल-वे ने रेवाड़ी से गोगामेड़ी तक स्पेशल ट्रेन 20 अगस्त 2024 से 12 सितम्बर 2024 तक निश्चित की है। इस ट्रेन के आने जाने सहित कुल 13 ट्रिप होंगे। इसे गाडी संख्या 04795, रेवाडी-गोगामेड़ी मेला स्पेशल ट्रेन नाम दिया गया है।
सभी जाति और धर्म में होती है पूजा
गोगाजी महाराज के बारे में सबसे बड़ी बात यह है कि यह सभी जाति और धर्मों के लोगों के सम्मलित देवता है। हालांकि इनको लोकदेवता माना जाता है लेकिन कम से कम देश के 5 बड़े प्रदेशों में इनकी मान्यता है। गोगाजी सबसे प्रसिद्ध नाम है लेकिन इसके अलावा इनको जाहरवीर, गोगापीर, राजा मंडलिक, गोगा चौहान जैसे अनेक नामों से जाना और पूजा जाता है। वैसे इनकी पहचान नागों के देवता के रूप में सर्वव्याप्त है। इनके दो प्रतीक हैं एक मिट्टी का घोड़ा और दूसरा सांप का प्रतीक। जहां इनकी पूजा होती है उन स्थानों को स्थानीय भाषा में मेड़ी कहा जाता है। जहां इनकी समाधि है। उस स्थान का नाम इनके नाम से गोगामेड़ी है, जो कि राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में है। इनकी पूजा करने से सर्पदंश से मुक्ति मिलती है। आज भी ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश से मुक्ति के लिए रोगी को मेड़ी पर रखा जाता है।
कौन थे गोगाजी महाराज
गोगाजी महाराज चौहान वंश के राजपूत राजा थे। इनका जन्म श्री भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी तिथि को विक्रम संवत् 1003 में चौहान क्षत्रिय वंश में हुआ। इनके पिता का नाम श्री जेवर सिंह और माता का नाम बाछल कंवर था। श्री गोगाजी गुरू गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में थे। उनको छः पीरों में से एक पीर माना जाता है। मान्यता है कि गोगाजी महाराज ने गो-वंश रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। मान्यता है कि गोगाजी के अर्जन और सुर्जन नामक दो मौसेरे भाई थे। उन्होंने गोगाजी महाराज के शासन को हथियाने के लिए मोहम्मद गजनवी से समझौता करके उन पर आक्रमण कर दिया। गोगाजी महाराज वीरगति को प्राप्त हुए।
कैसे की जाती है पूजा
घरों में जो पूजा की जाती है वह मिट्टी के घोड़े के प्रतीक के तौर पर की जाती है। चिकनी मिट्टी से घोड़े की आकृति बनाई जाती है। कुछ स्थानों पर सांप की आकृति के रूप में भी गोगाजी की पूजा की जाती है। मूलतः गोगाजी महाराज को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता है। शायद यही एक देवता है जो कि हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के लोग समान रूप से पूजते हैं। आमतौर पर नारियल का प्रसाद चढ़ाया जाता है और सर्पदंश के भय से मुक्ति और स्वस्थ जीवन की प्रार्थना की जाती है।
कब है गोगा नवमी
वैसे तो गोगाजी महाराज की पूजा अर्चना रक्षाबंधन के दूसरे दिन ही आरम्भ हो जाती है लेकिन गोगा नवमी की पूजा का विशेष उत्सव उनके जन्म दिन अर्थात भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस वर्ष विक्रम संवत् 2081 के भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि अंग्रेजी दिनांक 27 अगस्त 2024, मंगलवार को है। अतः इसी दिन गोगा नवमी का मेला आयोज्य होगा।
Astrologer Satyanarayan Jangid
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