IndiaWorldDelhi NCRUttar PradeshHaryanaRajasthanPunjabJammu & Kashmir BiharOther States
Sports | Other GamesCricket
HoroscopeBollywood KesariSocialWorld CupGadgetsHealth & Lifestyle
Advertisement

हिंदू शादियों के लिए कन्यादान जरूरी नहीं,  इलाहाबाद HC ने कही बात

12:32 PM Apr 08, 2024 IST
Advertisement
High Court: याची की ओर से वैवाहिक विवाद के संबंध में चल रहे आपराधिक मामले में दो गवाहों को पुन समन किए जाने की प्रार्थना की गई थी। याची की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया इस पर उसने हाई कोर्ट की शरण ली। याची की ओर से दलील दी गई कि उसकी पत्नी का कन्यादान हुआ था अथवा नहीं यह स्थापित करने के लिए अभियोजन के गवाहों जिसमें वादी भी शामिल है।
Highlights

इलाहाबाद High Court ने कही बात

इलाहाबाद High Court की लखनऊ पीठ ने हाल ही में कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हिंदू शादियों के लिए कन्यादान जरूरी नहीं है। अदालत ने कहा कि केवल सप्तपदी ही हिंदू विवाह का एक आवश्यक समारोह है और हिंदू विवाह अधिनियम में शादी के लिए कन्यादान का प्रावधान नहीं है। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने गत 22 मार्च को आशुतोष यादव द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। अदालत ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा सात का भी जिक्र किया।

हिंदू विवाह के लिए समारोह

अदालत ने कहा, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा सात इस प्रकार है- हिंदू विवाह के लिए समारोह- (1) एक हिंदू विवाह किसी भी पक्ष के प्रथागत संस्कारों और समारोहों के अनुसार मनाया जा सकता है। (2) ऐसे संस्कारों और समारोहों में सप्तपदी (यानी दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के समक्ष संयुक्त रूप से सात फेरे लेना) शामिल है। सातवां फेरा लेने पर विवाह पूर्ण और बाध्यकारी हो जाता है।

हिंदू विवाह के अनुष्ठान के लिए कन्यादान आवश्यक नहीं

न्यायालय ने कहा, इस तरह हिंदू विवाह अधिनियम केवल सप्तपदी को हिंदू विवाह के एक आवश्यक समारोह के रूप में मान्यता प्रदान करता है। वह हिंदू विवाह के अनुष्ठान के लिए कन्यादान को आवश्यक नहीं बताता है।
अदालत ने कहा कि कन्यादान का समारोह किया गया था या नहीं यह मामले के न्यायोचित निर्णय के लिए जरूरी नहीं होगा और इसलिए इस तथ्य को साबित करने के लिए अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 311 के तहत गवाहों को नहीं बुलाया जा सकता।
पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने वाले ने इसी साल छह मार्च को अपर सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक अदालत प्रथम) द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी थी। इस आदेश में अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान दो गवाहों के पुनर्परीक्षण के लिए उन्हें बुलाने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने मुकदमे की कार्यवाही के दौरान अभियोजन पक्ष के दो गवाहों को फिर से गवाही के लिए बुलाने से इनकार कर दिया था। पुनरीक्षण आवेदन भरते समय यह तर्क दिया गया कि अभियोजन पक्ष के गवाह नंबर एक और उसके पिता जो अभियोजन पक्ष के गवाह नंबर दो थे, के बयानों में विरोधाभास था और इस तरह उनकी फिर से गवाही जरूरी थी।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।  

Advertisement
Next Article