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Home Ministry: हिंसात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने लिए अहम फैसले

04:33 PM Dec 31, 2023 IST
Home Ministry
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Home Ministry: गृह मंत्रालय ने मणिपुर में जातीय हिंसा और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमलों जैसी चुनौतियों से निपटने के अलावा वर्ष 2023 में ब्रिटिश काल के आपराधिक कानूनों में बदलाव लाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए और पूर्वोत्तर में उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

Highlights 

वार्ता समर्थक गुट ने केंद्र और असम सरकार के साथ इन समझौते पर किये हस्ताक्षर

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के वार्ता समर्थक गुट ने हिंसा छोड़ने, संगठन को भंग करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति व्यक्त करते हुए साल के अंत में केंद्र (Home Ministry) और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये। यह समझौता इस बात को दर्शाता है कि गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाला मंत्रालय उन समस्याओं का समाधान करने के लिए गंभीर है जिनसे पूर्वोत्तर भारत दशकों से जूझ रहा है और जिसने कई लोगों की जान ले ली।

हिंसा की शुरुआत कैसे हुई, जाने

मणिपुर के जिलों में एक बड़ा संकट तीन मई को उस समय पैदा हुआ जब ‘‘जनजातीय एकजुटता मार्च’’ निकाले जाने के बाद जातीय हिंसा हुई। यह मार्च मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए निकाला गया था। महीनों तक जारी रही हिंसा में कम से कम 180 लोगों की मौत हो गई। शाह ने संघर्ष कर रहे समुदायों -मेइती और कुकी को शांत करने के लिए राज्य का दौरा किया। न्यायिक जांच समिति का गठन, पीड़ितों को वित्तीय सहायता और अतिरिक्त बलों को भेजने सहित विश्वास-निर्माण के लिए कदम उठाए गए। कई महीनों की हिंसा के बाद मणिपुर में शांति बहाल हो गई है, लेकिन दोनों समुदायों के बीच अविश्वास चिंता का विषय है।

इन समझौते पर हुई केंद्र सरकार की सहमति

सरकार ने 29 नवंबर को मणिपुर के उग्रवादी संगठन ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट’ के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत मेइती बहुल इस संगठन ने हिंसा छोड़ने पर सहमति व्यक्त की। मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में पूर्वोत्तर के उग्रवादी समूहों के साथ कई समझौते किए हैं।
असम-मेघालय सीमा समझौते, असम-अरुणाचल सीमा समझौते और मणिपुर स्थित उग्रवादी समूह यूएनएलएफ के साथ समझौते पर 2023 में हस्ताक्षर किए गए।

Amit Shah द्वारा पेश किये गए ये विधेयक

गृह मंत्री अमित शाह ने 11 अगस्त को संसद में ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता (IPC ), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन नये विधेयक -भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 पेश किए। इन विधेयकों को समीक्षा के लिए 18 अगस्त को गृह मामलों की स्थायी समिति को सौंपा गया और उसे तीन महीने के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया। आपराधिक कानूनों से संबंधित तीनों विधेयकों को संसद की स्थायी समिति की ओर से सुझाए गए संशोधनों के मद्देनजर संसद के हाल में हुए शीतकालीन सत्र में वापस ले लिया गया और गृह मंत्री ने 12 दिसंबर को इनकी जगह नए विधेयक पेश किए। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी),1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेने के लिए लाया गया है। इन विधेयकों में आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी गयी है, राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया गया है और ‘‘राज्य के खिलाफ अपराध’’ शीर्षक से एक नया खंड जोड़ा गया है।

नए क़ानून में क्या है प्रावधान?, जाने क्या होंगे प्रभाव?

नए कानूनों के अनुसार, ‘राजद्रोह’ के स्थान पर ‘देशद्रोह’ शब्द लाया गया है। इस बीच, जम्मू-कश्मीर में 2023 की शुरुआत से छिटपुट हिंसा जारी रही। जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में 21 दिसंबर को हथियारों से लैस आतंकवादियों द्वारा सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए। इसके एक दिन बाद पुंछ जिले में हमले के इस स्थल के निकट ही तीन आम नागरिकों के शव मिले जिसे लेकर काफी हंगामा हुआ। इन तीन लोगों को कथित रूप से सेना ने हिरासत में लिया था। राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में इस साल मुठभेड़ों में 19 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 28 आतंकवादी मारे गए। इन मुठभेड़ों में कुल 54 लोग मारे गए। एक समय आंतरिक सुरक्षा के लिए प्रमुख खतरा माने जाने वाले वामपंथी उग्रवाद ( LWUE ) या नक्सल की समस्या पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 साल में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 52 प्रतिशत की कमी आई है, इन घटनाओं में होने वाली मौत की घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है और प्रभावित जिलों की संख्या 96 से घटकर 45 रह गई है। उन्होंने कहा कि वामपंथ उग्रवाद प्रभावित थाना क्षेत्रों की संख्या 495 से घटकर 176 हो गई है। वर्ष 2019 के बाद से वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों के 199 नए शिविर स्थापित किए गए हैं।

Amit Shah ने नक्सलवाद को लेकर कही ये बात

अमित शाह (Home Ministry) ने एक दिसंबर को कहा था कि भारत नक्सलवाद को खत्म करने के कगार पर है और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इस लड़ाई को जीतने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध’’ है। गृह मंत्री ने कहा था, ‘‘बीएसएफ, सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) और आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) जैसे बल एलडब्ल्यूई (वामपंथी उग्रवाद) के खिलाफ आखिरी प्रहार कर रहे हैं। हम देश में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे इस युद्ध में जीत का भरोसा है।’’

शांति समझौते में इनकी रहे उपस्थिति

उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने 29 दिसंबर को केंद्र (Home Ministry) और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किये।

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