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INS Arighat : भारतीय नौसेना को मिली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात, दुश्मनों को खोज-खोज करेगी साफाया

05:06 PM Aug 29, 2024 IST
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INS Arighat : भारतीय नौसेना को स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघट (INS Arighat) मिल चुकी है। साथ ही इसे स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड में शामिल कर लिया गया है। इसमें कई तरह के नए अपग्रेड किए गए हैं।बता दें कि आईएनएस अरिघात सबमरीन समंदर में घात लगाकर दुश्मनों को खोज-खोज कर साफाया करेगी।

Highlights
. भारतीय नौसेना को मिली दूसरी परमाणु पनडुब्बी
. INS Arighat भारतीय नौसेना में शामिल
. दुश्मनों को खोज-खोज करेगी साफाया

INS Arighat भारतीय नौसेना में शामिल

भारतीय नौसेना को स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघट (INS Arighat) मिल चुकी है। बता दें कि परमाणु बम से 750 किलोमीटर दूर तक तबाही मचाने वाला आईएनएस अरिहंत का यार अरिघात आज समंदर में उतरने जा रहा है। आईएएनएस अरिघात के-15 मिसाइल से लैस होगा, जो काफी खतरनाक है। इससे दुश्मनों की हर चाल नाकाम होगी। भारतीय नौसेना में आज यानी गुरुवार को आईएनएस अरिघात सबमरीन यानी पनडुब्बी शामिल होने जा रही है। इससे समंदर में न केवल भारत की ताकत बढ़ेगी बल्कि यह चीन-पाकिस्तान में खलबली भी मचाएगी।

Dive into the Secrets of India's Nuclear Submarine, INS Arighat | by  Billwbkmk | Medium

INS Arighat:दुश्मनों को खोज-खोज करेगी साफाया

भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु ईंधन से चलने वाली और परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस यह सबमरीन अरिहंत क्लास की अत्याधुनिक SSBN है। इसे विशाखापत्तनम स्थित शिपबिल्डिंग सेंटर में बनाया गया है। इसका डिस्प्लेसमेंट 6000 टन है। लंबाई करीब 113 मीटर है. बीम 11 मीटर और ड्राफ्ट 9.5 मीटर का है। यह पानी के अंदर 980 से 1400 फीट की गहराई तक जा सकती है. रेंज असीमित है। यानी खाने की सप्लाई और मेंटेनेंस रहे तो असीमित समय तक समंदर में रह सकती है।

INS Arighat: भारतीय नौसेना को मिलेगी नई परमाणु सबमरीन अरिघात, जानिए क्या  हैं इसकी खासियत - Indian navy to commission INS Arighat on thursday know  more about the nuclear submarine - GNT

INS Arighat: आईएनएस अरिघात से पहले, K-15 मिसाइल को 2018 में आईएनएस अरिहंत पर इंजेक्ट किया गया था। अरिघात और अरिहंत बिलकुल समान है. मगर, आईएनएस अरिघात अपने पूर्ववर्ती अरिहंत से काफी एडवांस है। ये दोनों सबमरीन मिलकर देश की ‘परमाणु त्रय’ या कहें कि जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु बम दागने की क्षमता को मजबूत करेंगे।

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Abhishek Kumar

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