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भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में एमएसएमई की भूमिका

03:51 PM Jun 29, 2025 IST | Aishwarya Raj
भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में एमएसएमई की भूमिका

भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि हर नागरिक अपने कार्य क्षेत्र में मूल्यवर्धन करे। इस दिशा में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएँ जैसे पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएम स्वनिधि आदि का उद्देश्य यही है कि परंपरागत कार्यों में लगे लोगों को उद्यमिता से जोड़ा जाए और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए।

राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (NSIC) इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है। पारंपरिक कारीगर जैसे शिल्पकार, सुनार, लोहार आदि को आधुनिक उद्यमी में बदलने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत इन्हें प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार से जोड़ने की व्यवस्था की जा रही है।

महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना

इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने एमएसएमई व्यापार सशक्तिकरण और विपणन (TEAM) योजना की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से 5 लाख एमएसएमई को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से 50% महिलाएं होंगी। इसका उद्देश्य है महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना और उन्हें डिजिटल युग के साथ जोड़ना।

एमएसएमई के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है कुशल जनशक्ति की कमी। मशीनें तो लगाई जा सकती हैं, लेकिन उन्हें चलाने के लिए प्रशिक्षित हाथों की आवश्यकता होती है। इस समस्या के समाधान के लिए एनएसआईसी देशभर में तकनीकी प्रशिक्षण केंद्रों और इनक्यूबेशन सेंटर चला रहा है। इन केंद्रों में युवाओं को आधुनिक औद्योगिक तकनीकों जैसे सीएनसी मशीन, सोलर टेक्नोलॉजी, ईवी टेक्नोलॉजी, ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी, स्मार्ट फैक्ट्री सॉल्यूशन, रोबोटिक्स आदि में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

मजबूत एमएसएमई इकोसिस्टम

इन प्रशिक्षण केंद्रों को "उद्यम निर्माण प्रयोगशालाएं" भी कहा जाता है, जहां युवाओं को उनके पसंदीदा ट्रेड में स्किल्स सिखाई जाती हैं, व्यवसायिक योजना तैयार कर बैंक से ऋण दिलवाया जाता है और फिर तैयार उत्पाद को बाज़ार से जोड़ा जाता है। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य एक मजबूत एमएसएमई इकोसिस्टम तैयार करना है जो न केवल स्वावलंबी हो बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर उत्पन्न करे।

विश्व एमएसएमई दिवस के अवसर पर यह समझना जरूरी है कि 21वीं सदी भारत की होगी। जिस प्रकार 19वीं सदी यूरोप की और 20वीं सदी अमेरिका की रही, उसी तरह यह सदी भारत के नेतृत्व की सदी बनेगी और इसमें सबसे अहम योगदान देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) का होगा।

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