गणेश चतुर्थी के मौके पर सूरत की महिलाओं ने बनाई पर्यावरण अनुकूल भगवान गणेश की मूर्ति!
जब भी देश में कोई त्यौहार आता है तो सबसे पहले हम साफ सफाई और स्वच्छता की चिंता करते हैं। बता दे की गणेश चतुर्थी के मौके पर तो खास तौर पर साफ सफाई का इंतजाम किया जाता है कि जब भी भगवान को विसर्जन किया जाए तो नदियों में किसी भी प्रकार का या फिर कोई गंदगी ना जाए। सरकार को भी इसकी काफी लंबे समय से चिंता सता रही थी लेकिन इस बार गुजरात के सूरत के महिलाओं ने कुछ ऐसा कदम उठाया है जो आपको हैरान कर देगा साथ ही आपको कुछ सीख भी देगा। जी हां गुजरात के सूरत की महिला कलाकारों ने गणेश जी के कैसे मूर्ति बनाई हैं जो पर्यावरण के काफी अनुकूल है। जी हां उन्होंने गणेश जी की मूर्ति को साबुन का उपयोग करके बनाया है अगर आपके मन में सवाल है कि आखिरकार यह बना कैसे तो चलिए पूरा लेख पढ़ते हैं।
कैसे बनाई साबुन से बनी मूर्ति?
दरअसल एक महिला कलाकार आदित्य मित्तल ने बताया कि वह पिछले 6 साल से ऐसी मूर्तियां बना रही है। और उन्होंने कहा कि इस साल मैंने पीएम मोदी के स्वछता अभियान को अपनाकर गणेश की मूर्तियां बनाई है इन सभी के बारे में मित्तल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया।उन्होंने बताया की “मैंने साबुन का उपयोग करके मूर्ति बनाई। इस मूर्ति को बनाने में कुल 2,655 किलोग्राम साबुन का इस्तेमाल किया गया था। इसे बनाने में हमें कुल सात दिन लगे,'' मित्तल ने कहा। भुवनेश्वर स्थित एक अन्य लघु कलाकार, एल ईश्वर राव ने भी ठोस मिट्टी पर देवी सरस्वती और लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पर्यावरण-अनुकूल मूर्तियां तैयार कीं।