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'One Nation One Election' को कैबिनेट से मिली मंजूरी, एक साथ होगा लोकसभा और विधानसभा चुनाव

03:01 PM Sep 18, 2024 IST
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One Nation One Election: देश में वन नेशन वन इलेक्शन की प्रस्ताव को आज मंजूरी मिल गई है। बुधवार को मोदी कैबिनेट ने बैठक में देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

Highlights

'One Nation One Election' प्रस्ताव को कैबिनेट से मिली मंजूरी

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश की गयी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उसके मुताबिक उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी, जिसके बाद 100 दिन के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गयी। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे।

सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में कर सकती है पेश

'एक देश, एक चुनाव' को लेकर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी गई। सूत्रों की मानें तो कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिल गई है। कहा जा रहा है कि सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में इसे पेश कर सकती है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों के एलान से पहले मार्च में यह रिपोर्ट पेश की थी। कैबिनेट के सामने रिपोर्ट पेश करना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था।

कितने पार्टियों ने दिया समर्थन

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई बनी समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से संपर्क किया था। इनमें से 32 ने एक देश, एक चुनाव का समर्थन किया था जबकि, 15 पार्टियां इसके विरोध में थीं। 15 ऐसी पार्टियां थीं, जिन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था। केंद्र की एनडीए सरकार में बीजेपी के अलावा चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, नीतीश कुमार की जेडीयू और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) बड़ी पार्टियां हैं। जेडीयू और एलजेपी (आर) तो एक देश, एक चुनाव के लिए राजी हैं, जबकि टीडीपी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है।

मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की सिफारिश

समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए एक ‘क्रियान्वयन समूह’ गठित करने का भी प्रस्ताव दिया था। उसने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों को बचाने, विकास और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देने, ‘‘लोकतंत्र की नीव’’ को मजबूत करने और भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी। समिति ने भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य निर्वाचन प्राधिकारियों से विचार-विमर्श कर एक साझा मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र बनाने की भी सिफारिश की।

18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश

अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की जिम्मेदारी भारत के निर्वाचन आयोग की है जबकि नगर निगमों और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग कराते हैं। समिति ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संविधान संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की जरूरत होगी।

एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र

एक मतदाता सूची और एक मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए कम से कम आधे राज्यों द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, विधि आयोग भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही पेश कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक साथ चुनाव कराने के प्रबल समर्थक रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि विधि आयोग सरकार के तीन स्तरों - लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं तथा पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने और त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार बनाने के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।

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