For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

राज्यों का खनिजयुक्त भूमि पर टैक्स का अधिकार बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

10:42 AM Oct 05, 2024 IST
राज्यों का खनिजयुक्त भूमि पर टैक्स का अधिकार बरकरार  सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

SC On Tax: सुप्रीम कोर्ट ने खनिज युक्त भूमि और खदानों पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्यों के पास होने के अपने फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की है। न्यायमूर्ति नागरत्ना ने असहमति जताई थी और कहा था कि सिर्फ केंद्र को टैक्स लगाने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने 9 न्यायाधीशों की पीठ के फैसले की समीक्षा करने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि राज्यों को संविधान के तहत खदानों और खनिजों वाली भूमि पर कर लगाने का अधिकार है और यह भी फैसला सुनाया कि निकाले गए खनिजों पर देय रॉयल्टी कर नहीं है।

समीक्षाधीन फैसले में भी असहमति जताई

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, अभय एस ओका, बीवी नागरत्ना, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, उज्जल भुयान, सतीश चंद्र शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह के साथ पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया। हालांकि, न्यायमूर्ति नागरत्ना ने बहुमत से असहमति जताई और पुनर्विचार का मामला बनाया गया और पुनर्विचार याचिकाओं पर नोटिस जारी किया गया। उन्होंने समीक्षाधीन फैसले में भी असहमति जताई थी।

कई त्रुटियों की ओर इशारा किया

समीक्षा याचिकाओं पर आदेश में कहा गया है, "समीक्षा याचिकाओं का अवलोकन करने के पश्चात, अभिलेखों में कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय नियम 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के अंतर्गत समीक्षा के लिए कोई मामला स्थापित नहीं हुआ है।" सर्वोच्च न्यायालय की नौ न्यायाधीशों की पीठ के उस निर्णय की समीक्षा करने की मांग करते हुए, जिसमें राज्यों को निकाले गए खनिजों पर रॉयल्टी एकत्र करने तथा खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की अनुमति दी गई थी, केंद्र सरकार ने सितंबर में शीर्ष न्यायालय से संपर्क किया था तथा निर्णय में स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाली कई त्रुटियों की ओर इशारा किया था।

1 अप्रैल, 2026 से अगले 12 वर्षों में चरणबद्ध

25 जुलाई को, नौ न्यायाधीशों की पीठ ने 8:1 के बहुमत वाले निर्णय में यह निर्णय दिया था कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों में निहित है, संसद में नहीं। 14 अगस्त को एक बाद के आदेश में, सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि निर्णय का भावी प्रभाव नहीं होगा तथा राज्यों को 1 अप्रैल, 2005 से खदानों तथा खनिज युक्त भूमि पर रॉयल्टी तथा कर पर पिछले बकाया को केंद्र तथा खनन पट्टा धारकों से एकत्र करने की अनुमति दी। इसने कहा था कि पिछले बकाये का भुगतान 1 अप्रैल, 2026 से अगले 12 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।

(Input From ANI)

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।

Advertisement
Advertisement
Author Image

Aastha Paswan

View all posts

Advertisement
×