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Shardiya Navratri 2024 Day 9 : शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन आज, जाने मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती और कन्या पूजन

01:12 AM Oct 11, 2024 IST
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Shardiya Navratri 2024 Day 9 : नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। आज के दिन को महानवमी भी कहा जाता है। कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें माँ कमला भी कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री भगवान विष्णु की अर्धांगिनी है। सिद्धिदात्री, नाम से ही स्पष्ट है सिद्धियों को देने वाली इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।

Highlights

शुक्रवार, 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 06 मिनट तक अष्टमी तिथि रहने वाली है। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। ऐसे में नवमी तिथि पर नवरात्र व्रत का पारण करने वाले लोग, अगले दिन अष्टमी तिथि समाप्त होने के बाद पारण कर सकते हैं। वहीं, अष्टमी का व्रत रखने वाले साधक दशहरा पर व्रत का पारण कर सकते हैं। साधक नवमी तिथि का पारण भी दशहरा को सुबह 11 बजे तक कर सकते हैं।

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि

नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा व समस्त देवी देवताओं का ध्यान करें। मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाकर मां की भक्ति भाव से पूजा करें। इसके बाद मां को पूरी, खीर, चने, हलुआ, नारियल का भोग लगाएं। उसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराएं।

मां सिद्धिदात्री मंत्र जाप पूजा मंत्र

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

स्वयं सिद्ध बीज मंत्र:

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

मां सिद्धिदात्री स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां सिद्धिदात्री ध्यान

वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।

शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।

कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

कन्या पूजन विधि

कुछ लोग कन्या पूजन अष्टमी के दिन करते हैं तो कुछ लोग महानवमी पर कन्याओं को भोजन कराते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्या पूजन से पहले कन्याओं को भोजन के लिए एक दिन पहले निमंत्रण दें। कन्याओं के आने होने पर उनके पैर अच्छे से धोएं। उनको बिठाएं औरश्रृंगार भी करें। फिर उनको भोजन कराएं। भोजन कराने के बाद मिठाई, फल और अपनी सामर्थ्यानुसार दक्षिणा दें।उसके बाद उन्हें विदा करें।

महानवमी का महत्व

मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। शारदीय नवरात्रि का नौंवा दिन यानी नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इस तिथि पर मां दुर्गा के नौंवे स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों को सिद्धियों की प्राप्ति होती है। देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने इन्हीं शक्तिस्वरूपा देवी जी की उपासना करके सभी सिद्धियां प्राप्त की थीं, जिसके प्रभाव से शिव जी का स्वरूप अ‌र्द्धनारीश्वर का हो गया था। इस दिन कन्या पूजन से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।

मां सिद्धिदात्रि को अर्पित करें ये चीजें

महानवमी पर मां सिद्धिदात्रि को खीर, पूड़ी, चना, हलवा, नारियल और मौसमी फल का भोग लगाएं।

 

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