सुप्रीम कोर्ट का आदेश "स्त्रीधन पर पति का भी अधिकार नहीं" अब पति को देने होंगे 25 लाख रूपये
सुप्रीम कोर्ट ने स्त्रीधन को लेकर एक अहम् फैसला दिया है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिला का स्त्रीधन केवल महिला का है और वो महिला जब चाहे अपने स्त्रीधन को अपने मर्जी से खर्च या उपयोग कर सकती है। ये स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है। इस स्त्री धन में पति कभी भी हिस्सेदार नहीं बन सकता,लेकिन जीवन में प्रॉब्लम आने पर पत्नी की मर्जी से पति इसका उपयोग कर सकता है।
10 साल से अधिक पुराने इस मुकदमे में अपने हक की लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए पति को अपनी पत्नी के सभी आभूषण छीनन के लिए 25 लाख रुपए देने का आदेश दिया है। ये आदेश जीवन-यापन की लागत में वृद्धि, समता और न्याय के हित को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।
दरअसल, महिला ने आरोप लगाया था कि 2003 में शादी की पहली रात उसके पति ने उसके सारे गहने सास के पास रख दिए थे। महिला ने बताया कि परिवार ने उन्हें 89 स्वर्ण मुद्राएँ उपहार में दी थीं। इसके अलावा शादी के बाद उसके पिता ने उसके पति को 2,00,000/- रु भी दिए थे। इससे पहले विवाह ख़त्म करने के लिए याचिका दायर की गई थी। इसके साथ ही अपीलकर्ता ने आभूषणों की कीमत और पहले बताई गई रकम की वसूली के लिए एक और याचिका भी दायर की थी।
दायर याचिका को पारिवारिक न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली थी और माना था कि सास और पति ने उसके सोने के आभूषणों का दुरुपयोग किया था, जिसे केरल हाईकोर्ट ने उलट दिया था। इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। और अब सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट द्वारा 5 अप्रैल, 2022 को दिए गए उस फैसले को रद्द कर दिया।
क्या होता है स्त्री धन-
यह एक कानूनी टर्म है जिसका अर्थ है, महिला के हक का धन, संपत्ति, कागजात और दूसरी वस्तुएं। आमतौर पर माना जाता है कि स्त्रीधन में वही चीजें शामिल हैं, जो शादी के दौरान औरत को मिलती हैं. लेकिन ऐसा नहीं है। ये गैरशादीशुदा स्त्री का भी कानूनी अधिकार है।