Supreme Court: राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर लगा एक लाख रुपये का जुर्माना
Supreme Court: 19 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने ‘निरर्थक’ याचिकाएं दाखिल करने को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। न्यायालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने वाली अधिसूचना को रद्द करने के अनुरोध संबंधी याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी है। इसके साथ ही याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने ‘मोदी’ उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के संबंध में 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मानहानि मामले में चार अगस्त, 2023 को उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी। इसके बाद, उच्चतम न्यायालय से राहत मिलने के तीन दिन बाद यानी 7 अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना जारी कर गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल कर दी थी।
पीठ ने याचिका को किया खारिज
अशोक पांडे द्वारा दाखिल याचिका न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। इसके बाद पीठ ने इस बात पर गौर किया कि मामले की सुनवाई के लिए दो बार बुलाये जाने के बावजूद पांडे उसके समक्ष पेश नहीं हुए। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने पिछली याचिकाओं को क्रमश: पांच लाख रुपये और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाकर खारिज कर दिया था।
इसके साथ ही याचिका खारिज करते हुए आगे कहा कि ‘‘ऐसी निरर्थक याचिकाएं दायर करने से न केवल अदालत का बल्कि, पूरी रजिस्ट्री का कीमती समय बर्बाद होता है।’’
‘मोदी’ उपनाम के संबंध राहुल गांधी को लगाया गया था आपराधिक मानहानि
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता पूर्णेश मोदी ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में ‘मोदी’ उपनाम के संबंध में की गई कथित विवादित टिप्पणी को लेकर राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। गांधी ने सभा में टिप्पणी की थी कि ‘‘सभी चोरों का एक ही उपनाम मोदी कैसे हो सकता है।’’
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