RSS की रैली के खिलाफ तमिलनाडु सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें आरएसएस को राज्य में फ्लैग मार्च आयोजित करने की अनुमति दी गई थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले को 6 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
हाई कोर्ट ने आरएसएस को फ्लैग मार्च निकलने की दी थी अनुमति
तमिलनाडु सरकार ने आरएसएस को राज्य में फ्लैग मार्च निकालने की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और रिकॉर्ड पर वकील सबरीश सुब्रमण्यम ने किया। दक्षिणी राज्य सरकार ने एचसी के 18 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें आरएसएस को तमिलनाडु के विभिन्न क्षेत्रों में फ्लैग मार्च आयोजित करने की अनुमति दी गई है।
जानिए याचिका में क्या कहा गया है
याचिका में कहा गया है कि यह आदेश हिंसक घटनाओं के इतिहास, ऐसे मार्चों की जरूरतों और उद्देश्यों और कानून और व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करने वाली घटनाओं की संभावित घटना के बारे में प्रचलित खुफिया रिपोर्टों पर विचार किए बिना और अन्य धार्मिक सभाओं की पूरी अनदेखी के बिना पारित किया गया था। याचिका में कहा गया है कि संबंधित प्रतिवादी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नामक संगठन के प्रतिनिधि हैं, जो न तो भारत का नागरिक है और न ही कॉर्पोरेट निकाय है और इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद -19 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार के साथ निहित नहीं है। जो केवल भारत के नागरिकों के लिए उपलब्ध है।
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