बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की शपथ को गलत बताने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय को फिर से शपथ दिलाने की मांग की गई थी। बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से ली गई शपथ को तकनीकी रूप से गलत बताने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। साथ ही अपना समय बर्बाद करने के लिए याचिकाकर्ता पर 25 हज़ार रुपए का जुर्माना भी लगाया। याचिका में यह भी कहा गया था कि बॉम्बे हाई कोर्ट महाराष्ट्र के अलावा गोवा का भी हाई कोर्ट है, इसलिए गोवा के राज्यपाल को भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल किया जाना चाहिए।
पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ का बयान
देश के मुख्य न्यायाधीस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तुच्छता की एक सीमा होती है। याचिकाकर्ता ने अदालत का समय बर्बाद किया है। न्यायाधीश आधी रात को भी याचिकाओं पर सुनवाई करते हैं। चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से कहा, “आप शपथ को चुनौती दे रहे हैं क्योंकि राज्यपाल ने मैं कहा था लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने शपथ लेते वक्त मैं शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।” उन्होंने आगे कहा कि अब से अदालत इस तरह की तुच्छ याचिकाओं को अदालत के सामने आने से रोकने के लिए अग्रिम लागत लगाना शुरू करेगी।
याचिका को तुच्छ न कहा जाए
वहीं, मामले पर याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि सुनवाई से पहले उसकी याचिका को तुच्छ न कहा जाए। तर्क दिया कि पक्ष सुने बिना ये तय नहीं किया जा सकता कि ये तुच्छ है या नहीं। इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की तुच्छ याचिकाएं अदालत का कीमती समय लेती हैं और महत्वपूर्ण मामलों को लेने से अदालत का ध्यान भी भटकाती हैं और ऐसे मामलों पर जुर्माना लगाने का समय आ गया है।