एक वर्ष के अंदर सदन में होते हैं इतने सत्र, सबके नियम अलग
हमारे देश के लोकसभा में करीबन 543 सीट हैं, जहां अभी पुरुषों की संख्या 461 है तो वहीँ महिलाओं की संख्या 81 है। लेकिन क्या आप जानते हैं की आखिरकार इन सदनों को चलाने के लिए कितने सत्रों को बुलाया जाता है और उनमें कौन-कौन से कार्य होते हैं ? इन सत्रों को फायदा आखिरकार है क्या ? कौन से मुद्दे कब उठाये जाते हैं ? अगर नहीं तो आज का ये लेख आपके लिए काफी फायदेमंद होने वाला है जहां आपको हर उन प्रश्नों का जवाब मिलेगा जो आपको उलझन में डाल रही होगी ?
HIGHLIGHTS POINTS:
- 1952 में हुआ लोकसभा का गठन
- श्री जी. वी. मावलंकर थे लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष
- लोकसभा में कुल 543 सीटें
- 1 वर्ष के अंदर होते हैं 3 सत्र
कब हुआ लोकसभा का गठन ?
आपको जानकर काफी हैरानी होने वाली है ये सुनकर की 25 अक्टूबर 1951 से लेकर 21 फरवरी 1952 तक पहले आम चुनावों के पश्चात ही 17 अप्रैल 1952 को पहली बार लोक सभा का गठन हुआ था। साथ ही लोकसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को शुरू हुआ था। वहीँ वयस्क मताधिकार के आधार पर ही प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने गए प्रतिनिधि को लोक सभा का सदस्य बनाते हैं।
ये थे लोकसभा के पहले अध्यक्ष
लोकसभा को पूर्णरूप से चलाने के लिए एक अध्यक्ष की ज़रूरत होती है और ये सिलसिला भी 1952 से चलते आ रहा है। अगर हम लोकसभा के पहले अध्यक्ष की बात करें तो श्री जी. वी. मावलंकर लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष थे। जिनकी अवधि 15 मई 1952 – 27 फरवरी 1956 तक थी। और अभी वर्तमान में लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला हैं, जो की भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं।
लोकसभा में किस दल के सदस्यों की संख्या सर्वाधिक है ?
लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं जिसमें वर्त्तमान में अभी सर्वाधिक संख्या वाला दल भारतीय जनता पार्टी है जिनकी संख्या 301 है वहीँ दूसरी ओर भाजपा के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है जिसके कुल 53 सदस्य लोकसभा में मौजूद हैं।
लोकसभा के सदस्य के अंदर होती है ये योग्यताएं
यदि किसी भी व्यक्ति को लोकसभा का सदस्य बनना है तो उसे सबसे पहले भारत का नागरिक होना जरुरी है। वहीँ दूसरी ओर उसकी उम्र 25 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। जो संसद द्वारा ही निधारित की जाएं या इसके द्वारा बनाए गए कानून द्वारा निर्धारित की जाएं।
लोकसभा में 1 वर्ष के अंदर होते हैं इतने सत्र
पर साल संसद के अंदर तीन सत्र या फिर अधिवेशन होते हैं। जिसमें बजट अधिवेशन (फरवरी से लेकर मई तक चलता है ), मानसून अधिवेशन (जुलाई-अगस्त) और शीतकालीन अधिवेशन (नवंबर-दिसंबर)।
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