UPSC ने पूर्व IAS अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का किया विरोध
UPSC: यूपीएससी ने दिल्ली उच्च न्यायालय में पूर्व IAS पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया। UPSC ने पूजा खेडकर पर धोखाधड़ी का आरोप भी लगाया है। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने खारिज करने की भी मांग की है।
Highlights
- UPSC ने पूजा खेडकर की याचिका का किया विरोध
- UPSC ने पूजा खेडकर पर धोखाधड़ी का लगाया आरोप
- दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका खारिज करने की भी मांग की
UPSC ने पूजा खेडकर की याचिका का किया विरोध
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में भारतीय प्रशासनिक सेवा की पूर्व परिवीक्षाधीन अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने आयोग और जनता के खिलाफ धोखाधड़ी की है। खेडकर पर धोखाधड़ी और गलत तरीके से ओबीसी एवं दिव्यांगता आरक्षण का लाभ प्राप्त करने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका खारिज करने की भी मांग की
दिल्ली पुलिस ने इस आधार पर गिरफ्तारी-पूर्व जमानत याचिका खारिज करने की भी मांग की कि उसे कोई भी राहत देने से “गहरी साजिश” की जांच में बाधा उत्पन्न होगी और इस मामले का जनता के विश्वास के साथ-साथ लोक सेवा परीक्षा की शुचिता पर भी व्यापक प्रभाव पड़ेगा। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने मामले की सुनवाई 29 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी और इस बीच खेडकर को गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम सुरक्षा बढ़ा दी।
खेडकर से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है- UPSC
अदालत में दाखिल अपने जवाब में यूपीएससी ने कहा कि इस “धोखाधड़ी” की व्यापकता का पता लगाने के लिए खेडकर से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है। यूपीएससी के मुताबिक अन्य व्यक्तियों की मदद के बिना यह (धोखाधड़ी) नहीं की जा सकती थी इसलिये पूर्व अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जानी चाहिए।
अदालत ने खेडकर को दिल्ली पुलिस के रुख पर जवाब देने के लिए समय दिया
अधिवक्ता वर्धन कौशिक के जरिये दाखिल जवाब में आयोग ने कहा, “धोखाधड़ी की गंभीरता अभूतपूर्व है, क्योंकि यह न केवल एक संवैधानिक संस्था - शिकायतकर्ता - के खिलाफ की गई है, जिसकी परंपराएं स्वच्छंद और अद्वितीय हैं, बल्कि आम जनता के खिलाफ भी की गई है, जिसमें इस देश के नागरिक भी शामिल हैं, जिन्हें यूपीएससी की विश्वसनीयता पर पूरा भरोसा है, साथ ही ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो आवेदक द्वारा नियुक्ति पाने के लिए इस्तेमाल किए गए अवैध साधनों के कारण योग्य और अर्ह होने के बावजूद नियुक्त नहीं हो सके।”
अदालत ने खेडकर को यूपीएससी और दिल्ली पुलिस के रुख पर जवाब देने के लिए समय दिया।
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