राम, वाम और श्याम का क्या है मतलब, ममता बनर्जी ने अपने भाषण में किया जिक्र
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी ने रविवार को बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने बीजेपी पर उत्तर 24 परगना जिले में शांति भंग करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और कहा कि राम, वाम और श्याम आपस में मिले हैं। टीएमसी प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि हमने अपने कार्यकर्ताओं के ऊपर कार्रवाई की, लेकिन बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
Highlights
- राम, वाम और श्याम का क्या है मतलब
- ममता बनर्जी ने अपने भाषण में किया जिक्र
- चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा
‘हम हमेशा गलत होने पर कार्रवाई करते हैं’
ममता बनर्जी ने कहा कि टीएमसी के खिलाफ बीजेपी, वामपंथी और कांग्रेस यानी राम, वाम और श्याम आपस में मिले हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम हमेशा गलत होने पर कार्रवाई करते हैं, लेकिन संदेशखाली में पहले ईडी, फिर बीजेपी और अब मीडिया वहां पर शांति भंग करने की कोशिश कर रही है। अगर किसी के ऊपर आरोप है तो हम कार्रवाई करेंगे। मैंने पुलिस से स्वत: संज्ञान लेने को कहा है।
चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा
टीएमसी प्रमुख ने कहा कि हमारे ब्लॉक प्रमुख को गिरफ्तार कर लिया गया। भांगर में अराबुल इस्लाम को भी गिरफ्तार किया गया है, लेकिन बीजेपी ने अपने नेताओं के ऊपर क्या कार्रवाई की। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी बंगाल, महिला, किसान, दलित और किसान विरोधी है।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा और उस पर बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगाया। अगर चुनाव आयोग बीजेपी के आदेश पर काम कर रहा है तो यह ध्यान रखें कि हमें लड़ने और अपनी राय रखने का अधिकार है। वे हमें डराने के लिए ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले का जिक्र
किसानों के विरोध प्रदर्शन पर ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी हर जगह अराजकता पैदा कर रही है। वह एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ भड़का रही है। उन्होंने कहा कि हम किसान को अन्नदाता कहते हैं, लेकिन उनके साथ पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में बुरा व्यवहार किया जा रहा है। उनको दिल्ली आने से रोका जा रहा है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले का जिक्र करते हुए ममता ने कहा कि ऐसे मामलों में कार्रवाई करने का एक उचित तरीका होता है। अगर आपके पास किसी के खिलाफ कोई आरोप है, तो उसकी पहले जांच कीजिए, फिर आरोप पत्र दीजिए। कानून को अपने तरीके से काम करने देना चाहिए। आप किसी को सलाखों के पीछे नहीं रख सकते। इंदिरा गांधी ने भी इमरजेंसी के दौरान ऐसा किया था, लेकिन चुनाव हार गईं थी।
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