'इजराइली कार्रवाइयों की भारत करे निंदा...', जंग के बीच ईरान ने किया आग्रह
जंग के दौरान ईरान ने भारत से की इजराइल की निंदा की मांग
हुसैनी ने यह भी कहा कि यदि अक्टूबर में इजरायल द्वारा हमास के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई की उस समय वैश्विक स्तर पर कड़ी आलोचना की गई होती, तो शायद इज़रायल ईरान जैसे स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र पर आक्रमण करने की हिम्मत न करता.
Israel-Iran War: इजराइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है. इस बीच भारत में ईरान के उप-राजदूत मोहम्मद जवाद हुसैनी ने हाल ही में एक प्रेस वार्ता में इज़रायल के प्रति सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह इजराइली कार्रवाइयों की स्पष्ट रूप से निंदा करे. उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा लोकतांत्रिक और शांतिप्रिय देश है, जो ग्लोबल साउथ की आवाज़ बन चुका है. इसलिए भारत को इजराइल के खिलाफ स्पष्ट और सख्त रुख अपनाकर नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हुसैनी ने यह भी कहा कि यदि अक्टूबर में इजरायल द्वारा हमास के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई की उस समय वैश्विक स्तर पर कड़ी आलोचना की गई होती, तो शायद इज़रायल ईरान जैसे स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र पर आक्रमण करने की हिम्मत न करता. उन्होंने इसे एक बड़ी रणनीतिक चूक बताया और कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को शुरुआत में ही हस्तक्षेप करना चाहिए था.
IAEA की निष्पक्षता पर उठाए सवाल
ईरानी उप-राजदूत ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया. उन्होंने कहा कि IAEA ने स्वयं स्वीकार किया है कि ईरान की ओर से किसी भी प्रकार की सैन्य परमाणु गतिविधि नहीं हो रही है, इसके बावजूद एजेंसी ने इजरायल के दावे का समर्थन करते हुए ईरान के विरुद्ध रुख अपनाया. हुसैनी के अनुसार, यह रवैया IAEA की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है.
#WATCH | Delhi | Iranian Deputy Chief of Mission in India Mohammad Javad Hosseini says, “… Nuclear weapons don’t have any place in our defence strategy. We can defend ourselves. We don’t need the nuclear weapons. All of these allegations (that Iran is enriching Uranium for… pic.twitter.com/8X9EBCZfCm
— ANI (@ANI) June 20, 2025
‘परमाणु हथियारों की कोई आवश्यकता नहीं’
ईरानी राजनयिक ने स्पष्ट किया कि उनकी देश की रक्षा नीति में परमाणु हथियारों की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों की आवश्यकता नहीं है. हम अपने संसाधनों और क्षमताओं से अपनी रक्षा करने में सक्षम हैं.’ साथ ही उन्होंने यूरेनियम संवर्धन को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया और कहा कि यह महज़ एक राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश है, जिसमें शासन परिवर्तन की मंशा छुपी है.
पाकिस्तान से जताई सकारात्मक उम्मीद
एक पत्रकार द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कि क्या अमेरिका, पाकिस्तानी क्षेत्र का इस्तेमाल ईरान के खिलाफ कर सकता है, हुसैनी ने आशा जताई कि पाकिस्तान ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक पड़ोसी और इस्लामी देश है, और हमें उम्मीद है कि वह इस क्षेत्रीय संकट में ईरान के पक्ष में खड़ा रहेगा.
ईरान ने गोपनीय क्षमताओं’ की दी चेतावनी
हुसैनी ने यह भी चेतावनी दी कि ईरान के पास कुछ ऐसी रणनीतिक क्षमताएं हैं जो अब तक सार्वजनिक नहीं की गई हैं. उन्होंने कहा कि इन क्षमताओं को विशेष परिस्थितियों के लिए सुरक्षित रखा गया है और किसी भी देश को इस क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं.
इस प्रकार ईरानी उप-राजदूत का बयान न सिर्फ इज़रायल की कार्रवाईयों की आलोचना करता है, बल्कि भारत से भी एक निर्णायक रुख अपनाने की अपील करता है. साथ ही उन्होंने यह संदेश भी दिया कि ईरान अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सजग और सक्षम है.
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