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भारत-ब्रिटेन : गतिशील संबंधों का नया युग

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले वर्ष भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। बोरिस जॉनसन ने भारत के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।

02:07 AM Dec 17, 2020 IST | Aditya Chopra

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले वर्ष भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। बोरिस जॉनसन ने भारत के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले वर्ष भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। बोरिस जॉनसन ने भारत के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। अंग्रेजों ने भारत पर 200 साल तक राज किया था। व्यापार के नाम पर भारत आए अंग्रेजों ने सबसे पहले व्यापारिक लेन-देन शुरू किया था, इसके बाद वे यहां की शासन प्रणाली का हिस्सा बन गए थे। वयोवृद्ध भारतीय आज भी अंग्रेजों के अत्याचारों को याद करते हैं लेकिन उनकी शासन प्रणाली को भी याद करते हैं। कभी पूरी दुनिया में अंग्रेजों की हकूमत थी। केवल दुनिया के 22 देश ही ऐसे थे जिन पर अंग्रेज हमला नहीं कर पाए थे। तब कहा जाता था कि ब्रिटेन में सूर्य कभी नहीं डूबता क्योंकि अगर ​ब्रिटेन में सूर्य ढलता था कि उनकी हकूमत वाले दूसरे देश में सूर्य उग आता था। लगभग सौ देशों पर ब्रि​टिश शासन रहा लेकिन समय के साथ-साथ देश स्वतंत्र होते गए। ब्रिटेन सिमटता ही गया अब वह शक्तिशाली नहीं रहा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने गुटनिरपेक्षता और गैर उपनिवेशवादी अवधारणा की वकालत की, जबकि ब्रिटेन ने शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के साथ गठबंधन किया। इस प्रकार शुरू में भारत और ब्रिटेन राजनीतिक और वैचारिक रूप से एक-दूसरे के विपरीत सिरे थे। वस्तुत: द्विपक्षीय रूप से भारत-ब्रिटेन संबंध वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध तक अच्छे रहे, परन्तु युद्ध के बाद पाकिस्तान के प्रति ब्रिटेन के सहानुभूति भरे रवैये के कारण दोनों देशों के संबंधों में गिरावट जारी रही। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भारत-ब्रिटेन संबंधों में सकारात्मक बदलाव आए और तब से द्विपक्षीय संबंधों में निरंतर वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2004 में दोनों देशों ने सामरिक भागीदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। वस्तुतः वर्ष 1995 के बाद से ही दोनों देशों के बीच रक्षा सलाहकार समूह का गठन या जा चुका है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सत्ता सम्भाली और 2015 में उन्होंने तीन दिवसीय ब्रिटेन का दौरा किया था। इस दौरान सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए रक्षा और अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा संधि पर सहमति व्यक्त की गई थी। ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग हेतु एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया जो जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए सहयोग सुनिश्चित करने पर केन्द्रित था। 2016 में तत्कालीन ​ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा ने भारत का दौरा किया था।
अब वैश्विक राजनीति में बहुत बड़े-बड़े बदलाव आ रहे हैं। आज की दुनिया में देशों के आपसी संबंधों का महत्व काफी बढ़ चुका है। इस बात को महसूस किया जाने लगा है कि अगर मिलकर काम करेंगे तो सभी के हित बेहतर और प्रभावी ढंग से साधे जा सकेंगे। अकेले कोई अपनी डफली नहीं बजा सकता। इसलिए धुर विरोधी देश भी एक-दूसरे से तालमेल कायम कर रहे हैं और व्यापार को बढ़ावा दे रहे हैं।
ब्रिटेन का भारत के करीब आने के पीछे कारण भी है। वह यह है कि ब्रिटेन सबसे पहले वर्ष 1973 में यूरोपीयन इकोनोमिक कम्युनिटी में शामिल हुआ लेकिन कुछ वर्षों बाद ब्रिटेन में यूरोपीय यूनियन में शामिल होने का विरोध शुरू हो गया था। ब्रिटेन में महसूस किया गया कि यूरोपीय यूनियन के सदस्य देश ब्रिटेन से फायदा उठा रहे हैं जबकि ब्रिटेन पर शर्तें लादी जाती हैं। 2010 के घटनाक्रम में कुछ ऐसे बदलाव हुए कि जनमत संग्रह की मांग तेज हो गई। 2016 में ब्रिटेन में जनमत संग्रह कराया गया जिसमें 52 फीसदी लोगों ने ब्रेक्जिट के पक्ष में मतदान किया जबकि 48 फीसदी लोगों ने ब्रेक्जिट के विरोध में मतदान किया और कंजरवेटिव पार्टी के लिए ब्रेक्जिट का रास्ता साफ हो गया। जनवरी 2020 में ​ब्रिटिश संसद और यूरोपीय यूनियन की संसद ने ब्रेक्जिट समझौते पर अनुमति दी। इसके बाद भारत-ब्रिटेन संबंधों पर व्यापक प्रभाव पड़ना तय था। ब्रिटेन को अपने स्तर पर दूसरे देशों से व्यापारिक और अन्य साझेदारी विकसित करने की जरूरत है। भारत-​ब्रिटेन का महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार भी है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों के मध्य अभूतपूर्व सहयोग देखा गया। महामारी की विभिषिका के बीच इसकी वैक्सीन को लेकर परीक्षण तेज हुए तो ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और सीरम इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से कोरोना वैक्सीन से संबंधित ट्रायल शुरू किए गए थेे। भारत ​ब्रिटेन को वस्त्र मशीनरी, उपकरण,  पैट्रोलियम उत्पाद और चमड़े से उत्पादों का निर्यात करना है। 2015 से 2018 तक ब्रिटेन और भारत के बीच कुल व्यापार में 27 फीसदी की बढ़ौतरी दर्ज की गई थी। 
शिक्षा ​भारत-ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। भारतीय छात्र ब्रिटेन पढ़ने के लिए जाते हैं। भारत और ब्रिटेन के बीच सांस्कृतिक संबंध भी गहरे और व्यापक हैं। ब्रिटेन में भारत मूल के लोगों की आबादी कुल आबादी का लगभग 1.8 प्रतिशत है। अप्रवासी भारतीय वहां के संविधान और संस्कृति को आत्मसात कर ब्रिटेन के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। भातीय मूल के कई नागरिक संसद सदस्य भी हैं। यूरोपीय संघ से बाहर होने के बाद ब्रिटेन का व्यापार कम हो जाएगा और इसकी भरपाई ब्रिटेन भारत से व्यापार बढ़ाने का उत्सुक है। ब्रिटेेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राव और एस. जयशंकर में मंगलवार को दिल्ली में लम्बी बातचीत हुई। भारत-ब्रिटेन की मजबूत साझेदारी के संबंध में 2030 तक का खाका तैयार किया गया। अफगानिस्तान और हिन्दू प्रशांत क्षेत्र के संबंध में भी चर्चा हुई। दोनों देशों के संबंध नए युग की शुरूआत का प्रतीक है। उम्मीद है कि दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध बदलती दुनिया में नए आयाम स्थापित करेंगे।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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