चीन की बढ़ती ताकत के साथ भारत-अमेरिका रक्षा संबंध हो रहे मजबूत
रक्षा व्यापार, संयुक्त अभ्यास और समुद्री सुरक्षा में सहयोग के साथ भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा संबंध एक प्रमुख स्तंभ के तौर पर उभरा है।
12:41 AM Jan 20, 2021 IST | Shera Rajput
रक्षा व्यापार, संयुक्त अभ्यास और समुद्री सुरक्षा में सहयोग के साथ भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में रक्षा संबंध एक प्रमुख स्तंभ के तौर पर उभरा है।
दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में गठित होने वाली एक नई सरकार के साथ और भी अधिक मजबूत होने की उम्मीद है।
दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा संबंध लगातार मजबूत एवं गहरे होंगे। दोनों देशों में राजनीतिक प्रतिबद्धताएं मजबूत होंगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दोनों ही देश भारत-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) क्षेत्र में बढ़ती चीनी हठधर्मिता के बारे में चिंतित हैं।
अमेरिका के एक प्रतिष्ठित थिंक टैंक ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन की ओर से किए गए हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है। ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन वाशिंगटन डीसी स्थित एक गैर-लाभकारी सार्वजनिक सार्वजनिक नीति संगठन (पब्लिक पॉलिसी ऑर्गेनाइजेशन) है।
अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक एवं शोध संस्थान ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है, भारत के साथ अमेरिकी रक्षा और सुरक्षा संबंध बाइडन प्रशासन के व्यापक इंडो-पैसिफिक एजेंडे का एक छोटा सा, मगर महत्वपूर्ण भाग है, जिसे प्रमुख पुनर्रचना (री-डिजाइन) के बजाय स्थिर निवेश और पुनर्गणना की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में, भारत अमेरिका के साथ किसी अन्य देश की तुलना में अधिक द्विपक्षीय अभ्यास करता है। उदारण के लिए कुछ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय अभ्यास हैं : युद्ध अभ्यास, वज्र प्रहार, तरकश, टाइगर ट्रायम्फ और कोप इंडिया।
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, आतंकवाद निरोधक अभ्यास के साथ फरवरी में दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास के लिए जा रही हैं।
भारत का अमेरिका से रक्षा संबंधी अधिग्रहण का कुल मूल्य 15 अरब डॉलर से अधिक है। भारत-अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (डीटीटीआई) का उद्देश्य सह-विकास और सह-उत्पादन प्रयासों को बढ़ावा देना है।
जून 2016 में अमेरिका ने भारत को एक ‘मेजर डिफेंस पार्टनर’ के रूप में मान्यता दी, जो अमेरिका को अपने सबसे करीबी सहयोगियों और साझेदारों के साथ ही भारत को प्रौद्योगिकी साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
वहीं सितंबर 2018 और दिसंबर 2019 में भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय संवाद के दौरान रक्षा सहयोग के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय संवादों के अलावा रक्षा सहयोग पर कुछ अन्य महत्वपूर्ण संवाद तंत्र भी स्थापित हैं। इनमें रक्षा नीति समूह, सैन्य सहयोग समूह, रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल और इसके संयुक्त कार्यदल, सेना, नौसेना और वायुसेना, रक्षा के लिए कार्यकारी संचालन समूह खरीद एवं उत्पादन समूह, वरिष्ठ प्रौद्योगिकी सुरक्षा समूह और संयुक्त तकनीकी समूह शामिल हैं।
दोनों देशों के बीच रिश्ता काफी मजबूत हो चुका है और भारत व अमेरिका के बीच व्यापक, लचीली और बहुआयामी रक्षा साझेदारी भी बन चुकी है।
दोनों देशों के रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए बेसिक एक्सचेंज एंड को-ऑपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए) पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दोनों देशों की नौ सेनाओं के बीच समुद्री सूचना साझाकरण और समुद्री डोमेन जागरूकता को बढ़ाएगा।
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