Top NewsWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

भारत-अमेरिका टू प्लस टू वार्ता

02:48 AM Nov 12, 2023 IST | Aditya Chopra

भारत और अमेरिका के बीच पांचवें दौर की ‘टू प्लस टू’ मंत्री स्तरीय वार्ता से यही संकेत मिला है कि दोनों देश संबंधों को प्रगाढ़ दोस्ती की नई ऊंचाई तक ले जाने को बेताब हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और​ विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अमेरिका के रक्षामंत्री लॉयड आस्टिन और विदेश मंत्री एंटनी ​ब्लिंकन में हुई बातचीत के दौरान दोनों देशों ने रणनीतिक संबंधों को और ज्यादा मजबूत बनाने का फैसला किया गया। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में सहयोग व सह उत्पादन की प्रक्रिया तेज की जाएगी और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में क्वाड संगठन को और गतिशील बनाया जाएगा। बातचीत के दौरान पश्चिम एशिया की स्थिति यूक्रेन-रूस युद्ध, कनाडा-भारत कूटनीतिक विवाद, पाकिस्तान के आतंकवाद और पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर भी चर्चा हुई। ‘टू प्लस टू’ वार्ता से चीन तो आग-बबूला हुआ ही पाकिस्तान काे भी इससे बड़ी परेशानी हुई है। चीन इसलिए परेशान है कि क्वाड संगठन में भारत का दबदबा है। भारत, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान क्वाड के सदस्य देश हैं। इन चारों देशों की दोस्ती और हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी को रोकने के ​लिए उठाए जाने वाले कदमों और वैश्विक आतंकवाद पर प्रहार ने चीन के साथ-साथ पाकिस्तान को भी चिंता में डाल दिया। जटिल हो रहे वैश्विक परिदृश्य की पृष्ठभूमि में इस वार्ता ने दोनों देशों की वैश्विक साझेदारी और एक स्वतंत्र एवं मुक्त हिन्द प्रशांत के लिए उनकी साझा दृष्टि के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि ही की है।
2 2 डायलॉग में सामरिक, रक्षा और सुरक्षा संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। इस तंत्र के अधीन दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत होती है। इसका मकसद भारत और अमेरिका के बीच सामरिक साझेदारी के लिए एक सकारात्मक, दूरंदेशी दृष्टि और उनके राजनयिक एवं सुरक्षा प्रयासों में तालमेल को बढ़ावा देना है। इस प्लेटफॉर्म से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास में वृद्धि के साथ-साथ शीर्ष प्राथमिकताओं को बातचीत के अजेंडों में सबसे ऊपर रखा जाना सुनिश्चित होता है। अमेरिका से इतर भारत के जापान, ऑस्ट्रेलिया और रूस के साथ 2 2 डायलॉग की व्यवस्था है। अमेरिका के बाद भारत ने जापान के साथ 30 नवंबर 2019 को पहली 2 2 मंत्रीस्तरीय बातचीत की थी। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के साथ 11 सितंबर 2021 को जबकि रूस के साथ 6 दिसंबर 2021 को पहली 2 2 मिनिस्टेरियल डायलॉग हुआ था।
भारत और अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता मैकनिजम के तहत पहली बैठक 6 दिसम्बर 2018 को नई दिल्ली में हुई थी तब तत्कालीन विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री ​निर्मला सीतारमण ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियों और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ बातचीत की थी। तब दोनों देशों ने महत्वपूर्ण सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। भारत अमेरिका के साथ इस तरह की वार्ता का मैकनिजम बनाने से संकोच कर रहा था लेकिन अमेरिका ने इस बात पर जोर दिया। 2017 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी टू प्लस टू वार्ता के लिए तैयार हुए तब तक अमेरिका का केवल आस्ट्रेलिया आैर जापान के साथ ही ऐसा तंत्र था। हाल ही के वर्षों में भारत-अमेरिका संबंधों के नए अध्याय लिखे गए हैं। वक्त के साथ-साथ अमेरिका का रुख भी बदलता गया। भारत-पाकिस्तान युद्धों के समय भी अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखाई देता था। अब उसका दृष्टिकोण भारत के प्रति पूरी तरह बदल चुका है। वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु सहयोग समझौता हुआ था तब से क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ता गया। अब अमेरिका भारत को बड़ा रक्षा एवं रणनीतिक साझेदार मानता है। अमेरिका को इस बात का अहसास हो चुका है कि भारत आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर काफी ताकतवर हो चुका है। भारत अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं। टू प्लस टू वार्ता में भारत-अमेरिका में संयुक्त रूप से बख्तरबंद गाड़ियां बनाने का भी फैसला हुआ है।
भारत-अमेरिका की वार्ता के एक अहम बिंदु हिंद-प्रशांत क्षेत्र भी है जो एक जैव-भौगोलिक क्षेत्र है, जिसमें हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर सहित पश्चिमी और मध्य प्रशांत महासागर शामिल है। अमेरिका, भारत और कई अन्य विश्व शक्तियां संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधि की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर चर्चा कर रही हैं। जबकि चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर दावा करता है। वहीं ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद है। इन सबको देखते हुए भारत और अमेरिका यहां अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं। इस समय दुनिया कई धड़ों में बंट चुकी है। नए समीकरण बन रहे हैं। भारत की उपलब्धि यह है कि उसने अपने हितों की रक्षा करते हुए अपना मार्ग चुना है। युद्धों के दौरान भारत ने तटस्थ रुख अपनाया है। इसके बावजूद भारत-अमेरिका सहयोग बढ़ रहा है। इससे भारत पहले से अधिक ताकतवर होगा।

आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Advertisement
Next Article