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भारत बनेगा पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था, पर समयसीमा बताना मुश्किल : SBI प्रमुख

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि भारत 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवसथा बन सकता है लेकिन यह लक्ष्य कब हासिल होगा इसकी समयसीमा बताना मुश्किल है।

03:00 PM Jan 04, 2020 IST | Shera Rajput

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि भारत 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवसथा बन सकता है लेकिन यह लक्ष्य कब हासिल होगा इसकी समयसीमा बताना मुश्किल है।

भारत बनेगा पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था  पर समयसीमा बताना मुश्किल   sbi प्रमुख
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भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि भारत 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवसथा बन सकता है लेकिन यह लक्ष्य कब हासिल होगा इसकी समयसीमा बताना मुश्किल है।
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यह लक्ष्य 2024-25 तक हासिल होगा अथवा नहीं इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। सरकार ने हालांकि, देश को 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है।
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कुमार ने फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिये बड़े पैमाने पर निजी निवेश होना जरूरी है।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘‘पांच हजार अरब डॉलर… हम निश्चित रूप से इसे हासिल कर लेंगे, इसमें कोई शक नहीं है। हालांकि कब, इसे लेकर मैं सुनिश्चित नहीं हूं। क्या हम इसे पांच साल में हासिल कर लेंगे, यह बेहद मुश्किल सवाल है। लेकिन हम निश्चित तौर पर पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेंगे और मैं यह फिर से दोहराता हूं कि ऐसा निजी निवेश में तेजी आने से ही होगा।’’
उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकारी निवेश के दम पर इस लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता है। बुनियादी संरचना क्षेत्र में भारी निवेश की जरूरत है ताकि इसके परिणामस्वरूप सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को गति मिल सके।
फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती है और ऐसे में धारणा सुधारने के लिये सरकार को एक-दो लाख करोड़ रुपये बाजार में डालने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को अकेले सरकारी या अकेले निजी निवेश के दम पर नहीं हासिल किया जा सकता है। इसे हासिल करने के लिये दोनों को एक साथ हाथ मिलाने की जरूरत है।
रेड्डी ने कहा कि उद्योगों का मानना है कि निर्माण और ढांचागत क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये सरकार को कम से कम एक लाख करोड़ रुपये अर्थव्यवस्था में लगाने की जरूरत है। राजकोषीय घाटे पर इसका क्या असर होगा इस बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिये।
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Shera Rajput

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