भारत बनेगा समुद्री व्यापार का केंद्र, 8900 करोड़ में बनकर तैयार हुआ विझिंजम पोर्ट
8900 करोड़ की लागत से तैयार हुआ विझिंजम पोर्ट
विझिंजम बंदरगाह के उद्घाटन के साथ भारत समुद्री व्यापार का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। तकनीकी और भौगोलिक विशेषताओं के कारण यह बंदरगाह दक्षिण एशिया का मुख्य केंद्र बन सकता है। एआई संचालित कंट्रोल रूम और महिलाओं द्वारा संचालित ऑटोमैटिक टर्मिनल जैसे आधुनिक सुविधाएं इसे विशेष बनाती हैं।
गुरुवार को प्रधानमंत्री ने विझिंजम बंदरगाह देश को समर्पित किया। समारोह में राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और शशि थरूर समेत कई बड़े मंत्री, नेता और उद्यमपति मौजूद थे। विझिंजम बंदरगाह तकनीकी सुदृढ़ता और भौगोलिक संपन्नता के कारण आने वाले कुछ सालों में भारत का सबसे व्यस्त बंदरगाह बन सकता है। अभी भारत में 13 बड़े बंदरगाह हैं, लेकिन उनमें से कोई भी वैश्विक व्यापार का बड़ा केंद्र नहीं है। आज भी भारत को समुद्री व्यापार के लिए कोलंबो जैसे बंदरगाहों पर निर्भर रहना पड़ता है। 75 प्रतिशत जहाज़ बड़े विदेशी तटों पर रुककर ही भारत पहुंच पाते हैं। भारत के ज़्यादातर बंदरगाहों में बड़े व्यापारी जहाज़ों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। विझिंजम बंदरगाह के पास बड़े जहाज़ों और व्यापार के संचालन के लिए तकनीक भी है और अपनी भौगोलिक मौजूदगी के कारण यह बंदरगाह पूरे दक्षिण एशिया का केंद्र बन सकता है।
The Vizhinjam International Deepwater Multipurpose Seaport in Kerala is a significant advancement in India’s maritime infrastructure. https://t.co/sUeQ5k7TK1
— Narendra Modi (@narendramodi) May 2, 2025
AI द्वारा संचालित कंट्रोल रूम की व्यवस्था
विझिंजम बंदरगाह की तकनीकी सुदृढ़ता को इस बात से समझा जा सकता है कि इस बंदरगाह के कंट्रोल रूम में एआई द्वारा संचालन की व्यवस्था भी मौजूद है। इसके अलावा बंदरगाह में नए रडार भी लगाए गए हैं। बंदरगाह की ओर आते किसी भी जहाज़ के बारे में कंट्रोल रूम को पहले ही सूचना मिल जाएगी। इस बंदरगाह में मौजूद ऑटोमैटिक टर्मिनल, दुनिया की पहली ऐसी टर्मिनल होगी जिसका संचालन मुख्यतः महिलाएं करेंगी। अपनी पूरी क्षमता पर विझिंजम बंदरगाह हर साल 64 लाख कंटेनरों का संचालन कर पाएगा।
क्यों खास है विझिंजम बंदरगाह की भौगोलिक संरचना
विझिंजम बंदरगाह एशिया और यूरोप के मुख्य समुद्री मार्ग से केवल 18.5 किलोमीटर की दूरी पर है। भविष्य में विझिंजम इस रास्ते से गुजरने वाले जहाज़ों और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है। विझिंजम बंदरगाह के तट की प्राकृतिक गहराई 20 मीटर है। यह खास इसलिए है क्योंकि यह कोलंबो और सिंगापुर जैसे बड़े वैश्विक बंदरगाहों से भी अधिक है। भारत का 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री मार्ग पर निर्भर है। ऐसे में भारत को एक वैश्विक स्तर के बंदरगाह की सख्त ज़रूरत है। हर साल अन्य बंदरगाहों पर निर्भरता के कारण 2000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
मछुआरों और चर्च ने शुरुआत में किया विरोध
पोर्ट निर्माण के शुरुआती दौर में स्थानीय मछुआरों और चर्च ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। भौगोलिक महत्त्व के कारण निर्माण को कहीं और नहीं ले जाया जा सकता था। सरकार ने काफी विरोध के बावजूद किसी तरह मध्यस्थता करवाकर पोर्ट का काम जारी रखा।
What was once deemed impossible has now become a defining milestone in our development journey. Hon’ble Prime Minister Shri @narendramodi Ji has dedicated the @PortOfVizhinjam to the nation. This landmark project stands, a testament to Kerala’s resilience, will unlock new… pic.twitter.com/ajakWo0bm2
— Pinarayi Vijayan (@pinarayivijayan) May 2, 2025
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अंडमान और पालघर में भी बनेंगे बड़े बंदरगाह
भारत में अभी कुल 13 बड़े बंदरगाह हैं। विझिंजम पोर्ट के पूरी तरह से सुचारू होने तक भारत के पास कई और वैश्विक स्तर के पोर्ट बनकर तैयार हो जाएंगे। इनमें दो प्रमुख पोर्ट अंडमान और महाराष्ट्र के पालघर में तैयार होंगे। आधुनिक बंदरगाहों का निर्माण भारतीय व्यापार को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत को वैश्विक रूप से भी मज़बूत करेगा।