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भारतीय सेना और मानवता

भारतीय सेना को भारत का गर्व भी कहा जाता है। भारतीय सेना अपने नागरिकों की सेवा के लिए सदा तैयार रहती है।

11:19 AM Nov 22, 2024 IST | Aditya Chopra

भारतीय सेना को भारत का गर्व भी कहा जाता है। भारतीय सेना अपने नागरिकों की सेवा के लिए सदा तैयार रहती है।

भारतीय सेना को भारत का गर्व भी कहा जाता है। भारतीय सेना अपने नागरिकों की सेवा के लिए सदा तैयार रहती है। भारतीय सेना अपने देश की रक्षा के लिए सरहद पर 24 घंटे खड़ी रहती है। भारतीय सेना देश की सीमाओं की रक्षा के लिए राजस्थान में 60 डिग्री सेल्सियस की गर्मी झेलती है तो वहीं दूसरी ओर भारतीय सेना के जवान कड़कड़ाती ठण्ड में माइनस तापमान में देश की रक्षा के लिए हिमालय की पहाड़ियों पर डटे खड़े रहते हैं। भारतीय सेना ने आज तक किसी भी युद्ध में कभी भी युद्ध के नियमों का उल्लंघन नहीं किया। सन् 1947 से लेकर अब तक भारतीय सेना ने पाकिस्तान के साथ 4 बार युद्ध लड़ा है और हर बार पहल पाकिस्तान की तरफ से की गई जिसका भारतीय सेना की ओर से मुंहतोड़ जवाब दिया गया है। यह भी भारतीय सेना के शौर्य और वीरता की एक मिसाल ही है कि भारत पाकिस्तान से आज तक एक भी युद्ध नहीं हारा है।

भारतीय सेना अपने मानवीय मूल्यों के लिए भी सारी दुनिया में जानी जाती है। कारगिल के युद्ध में सभी पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के शवों को लेने से मना कर दिया था। तब भारतीय सेना ने पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया। पाकिस्तान के युद्धबंदियों के साथ भारत के सैन्य अफसरों ने हमेशा मानवता का ही व्यवहार किया। भारतीय सेना के इस मानवीय पहलू से दुश्मन मुल्क के सैनिक भी उनके प्रशंसक बन गए थे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेना है।

भारतीय सेना प्राकृतिक आपदाएं हों या फिर हिंसा की स्थितियां हर समय वह मानवता को बचाने का काम करती है। जम्मू-कश्मीर की बाढ़ हो या फिर केदारनाथ की त्रासदी देवदूत बनकर भारतीय सेना ने लाखों लोगों की जान बचाई है। यह भारतीय सेना के मानवीय पहलू को दर्शाता है। सच्चे अर्थों में भारतीय सेना धर्मनिरपेक्ष प्रतिष्ठान है, जिसमें सभी जाति और धर्म के लोग मिलजुल कर रहते हैं आैर देश की रक्षा करते हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के दौर में भी भारतीय सेना ने लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए अभूतपूर्व काम किया और आतंकवादी ताकतों से बेखौफ होकर कश्मीरी बच्चों को अाईएएस आैर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के​ लिए तैयार किया है। गांव-गांव तक स्वास्थ्य शिविर लगाए हैं। कभी भारतीय जवानों ने घायल व्यक्तियों को अस्पताल पहुंचाया है तो किसी जवान ने लुटेरों से महिलाओं की रक्षा की है। मानवता की सेवा का एक और उदाहरण तब मिला जब उसने ​िकश्तवाड़ में आतंकवादियों के​ खिलाफ अभियान के दौरान उत्पीड़न की खबरों के बाद जांच के आदेश दे दिए।

भारतीय सेना के व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने एक्स पर लिखा है, “किश्तवाड़ सेक्टर में आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी के आधार पर 20 नवंबर, 2024 को राष्ट्रीय राइफल्स ने एक ऑपरेशन शुरू किया। कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि ऑपरेशन के दौरान आम नागरिकों के साथ बुरा व्यवहार किया गया था। इस मामले में जांच शुरू की जा रही है, ज़रूरी कार्रवाई की जाएगी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारतीय सेना ने किश्तवाड़ के कौथ गांव में इसी हफ्ते मंगलवार को कुछ आम नागरिकों को कैंप में बुलाकर उनका उत्पीड़न किया। जम्मू क्षेत्र की चिनाब घाटी में बीते कुछ समय से चरमपंथ की कई घटनाएं सामने आई हैं। कुछ दिन पहले चरमपंथियों और सेना के बीच मुठभेड़ में भारतीय सेना के एक अधिकारी की मौत हुई थी, जबकि तीन अन्य घायल हो गए थे। इस घटना से पहले किश्तवाड़ इलाके में ही चरमपंथियों ने विलेज डिफेंस गार्ड के दो लोगों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी।

विशाल भारत में अपवाद स्वरूप कुछ घटनाएं सामने आती हैं जिन पर सवाल भी उठते रहे हैं लेकिन हम सभी को अपने देश की सेना का मनोबल बढ़ाने का काम ही करना चा​हिए। सेना को लेकर अनर्गल बयानबाजी उचित नहीं है और इसको लेकर सियासत नहीं की जानी चाहिए। देश के प्रत्येक नागरिक को भारतीय सेना के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए।

एक समाज, समुदाय या देश के नागरिक होने के नाते कुछ कर्त्तव्यों का पालन व्यक्तिगत रूप से भी किए जाने की आवश्यकता है। देश में उज्ज्वल भविष्य प्रदान करने के लिए सभी को नागरिकता के कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिये। एक देश पिछड़ा, गरीब या विकासशील है तो सब कुछ उसके नागरिकों पर निर्भर करता है तब तो और भी विशेष रूप से जबकि वह देश एक प्रजातांत्रिक देश हों। प्रत्येक को देश के अच्छे नागरिक होने के साथ ही देश के प्रति वफादार भी होना चाहिए। लोगों को सभी नियमों, अधिनियमों और सरकार द्वारा सुरक्षा और बेहतर जीवन के लिए बनाए गए कानूनों का पालन करना चाहिए। कर्त्तव्यपरायणता की यह सीख हम सेना के जवानों से ले सकते हैं। हमारी सेना बोलती नहीं पराक्रम करती है। जब सेना लोगों की जिन्दगियां बचाती है तो यह नहीं सोचती कि यह लोग कौन हैं। हमारी महान परम्परा यही रही है कि वीर सैनिक मानवता के लिए ही जीते और मरते हैं।

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