संकट में भारतीय बेटी की जान, केरल की निमिषा प्रिया को यमन में सुनाई गई फांसी की सजा
केरल की रहने वाली 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया यमन की राजधानी सना में मौत की सज़ा का सामना कर रही हैं. खबर है कि उन्हें एक महीने के अंदर फांसी दी जा सकती है, जिससे उनका परिवार सदमे में है. उनकी मां प्रेमा कुमारी उन्हें बचाने की हर कोशिश कर रही हैं और भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रही हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, निमिषा प्रिया 2008 में यमन गईं थीं और वहां नर्स के रूप में काम शुरू किया. उन्होंने 2011 में शादी की और एक बेटी हुई. लेकिन 2014 में पति और बेटी को आर्थिक तंगी के चलते भारत लौटना पड़ा, जबकि निमिषा यमन में ही रुक गईं और खुद का क्लिनिक खोलने की कोशिश करने लगीं.
क्लिनिक के लिए की साझेदारी
बता दें कि यमन में विदेशी महिलाएं अकेले कारोबार नहीं कर सकतीं, ऐसे में उन्होंने एक स्थानीय व्यापारी तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी की. लेकिन ये साझेदारी जल्द ही एक दुखद अनुभव में बदल गई. निमिषा का आरोप है कि तलाल ने खुद को कागज़ी पति घोषित कर दिया और उसके बाद शारीरिक व मानसिक शोषण करने लगा. उसने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया और उनकी कमाई पर भी हक जताया.
आत्मरक्षा में हुई एक बड़ी चूक
निमिषा ने बताया कि वह इस शोषण से बचने के लिए तलाल को नींद की दवा देकर बेहोश करना चाहती थीं, ताकि पासपोर्ट वापस लेकर भाग सकें. लेकिन दवा की ओवरडोज़ हो गई और तलाल की मौत हो गई. यमन की अदालत ने इसे हत्या माना और उन्हें मौत की सज़ा सुना दी.
भारत सरकार के सामने कूटनीतिक चुनौती
सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि भारत की यमन की राजधानी सना पर कब्जा जमाए हूती विद्रोहियों से कोई सीधा राजनयिक संबंध नहीं है. भारत सरकार यमन की मान्यता प्राप्त सरकार से संपर्क में है, लेकिन सना हूतियों के कब्जे में है, जिससे कूटनीतिक प्रयास जटिल हो जाते हैं.
क्या ब्लड मनी बन सकती है आखिरी उम्मीद?
यमन के कानून में ‘ब्लड मनी’ का प्रावधान है. इसका मतलब है कि मृतक के परिवार को मुआवज़ा देकर फांसी की सज़ा से बचा जा सकता है. निमिषा की मां पिछले साल यमन भी गईं और इस विकल्प को आज़माया. एक मानवाधिकार संगठन ने करीब 10 लाख डॉलर (8.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की, लेकिन मृतक के परिवार ने अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है.
स्थिति गंभीर लेकिन उम्मीद बाकी
सूत्रों के मुताबिक, जेल प्रशासन को फांसी की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश मिल चुका है. मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुएल जेरोम बास्करन लगातार यमन में परिवार और अधिकारियों से संपर्क बनाए हुए हैं.